कोलकाता: अभिनेता एवं भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती को अपने पूर्व निजी सचिव और उनकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई आर्थिक ठगी की शिकायत मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। न्यायमूर्ति जॉय सेनगुप्ता ने एफआईआर रद्द करने की मिथुन की याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि पुलिस जांच जारी रहेगी, और मिथुन चक्रवर्ती को जांच में सहयोग करना होगा।
हालांकि, अदालत ने 10 सितंबर 2025 तक उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की है। अगली सुनवाई की तारीख 3 नवंबर 2025 तय की गई है, और न्यायालय ने 3 सितंबर को केस डायरी भी तलब की है।
क्या है मामला?
मिथुन चक्रवर्ती के पूर्व सचिव सुमन रॉयचौधरी और उनकी पत्नी ने अभिनेता के खिलाफ चितपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि मिथुन और उनके करीबी मित्र एवं पेशे से वकील बिमान सरकार ने सुमन को एक होटल की आंतरिक सज्जा का कार्य सौंपा था।
सुमन का कहना है कि प्रारंभिक भुगतान मिलने के बाद, उनसे अतिरिक्त कार्य करवाया गया, जिसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखकर पैसे का इंतजाम किया और काम पूरा किया। लेकिन, इसके बदले उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला। उनके पास कार्य से संबंधित कोई कानूनी दस्तावेज भी नहीं है, जिससे उनकी स्थिति और भी कमजोर हो गई।
35 लाख रुपये की ठगी का आरोप
दंपति का दावा है कि मिथुन चक्रवर्ती ने करीब 35 लाख रुपये का भुगतान करने का वादा किया था, जो आज तक नहीं किया गया। जब सुमन की पत्नी ने स्वयं अभिनेता से यह रकम मांगने की कोशिश की, तो उन्हें अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद दोनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, और मिथुन चक्रवर्ती ने हाल ही में इसे रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने अब अस्वीकार कर दिया है।
क्या बोले न्यायाधीश?
न्यायमूर्ति जॉय सेनगुप्ता ने कहा कि एफआईआर में पर्याप्त आधार हैं, जिससे तथ्यात्मक जांच आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मिथुन को जांच में सहयोग देना अनिवार्य होगा, लेकिन उन्हें तत्काल गिरफ्तारी से राहत मिलती है। उन्होंने इस केस को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि केस डायरी प्रस्तुत की जाए।
राजनीतिक छवि पर असर की आशंका
चूंकि मिथुन चक्रवर्ती इस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी की कई प्रमुख रैलियों में हिस्सा लेते रहे हैं, ऐसे में यह मामला उनकी राजनीतिक और सार्वजनिक छवि को भी प्रभावित कर सकता है।