गुजरात में मंगलवार को आयोजित ऑल इंडिया पुलिस साइंस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलावों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से एफआईआर दर्ज होने के तीन वर्षों के भीतर सुप्रीम कोर्ट स्तर का न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव:
- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) को 1 जुलाई से लागू किया गया है।
- इन कानूनों का उद्देश्य पुलिस और न्यायालय प्रक्रियाओं को सरल और समयबद्ध बनाना है।
- शाह ने बताया कि इन कानूनों में 60 प्रावधान जोड़े गए हैं, जो पुलिस, अभियोजन पक्ष, और अदालतों को एक निश्चित समयसीमा में कार्य पूरा करने के लिए बाध्य करेंगे।
कैदियों को बड़ी राहत:
गृह मंत्री ने कहा कि 26 नवंबर, संविधान दिवस तक, देश की जेलों में ऐसा कोई कैदी नहीं होगा जिसने अपनी सजा का एक-तिहाई हिस्सा पूरा कर लिया हो, लेकिन उसे न्याय नहीं मिला हो।
- उन्होंने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि किसी कैदी का ट्रायल लंबित है और मामला गंभीर नहीं है, तो वे खुद अदालत में जमानत प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।
आधुनिक कानून प्रवर्तन की चुनौतियां:
शाह ने कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाले 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत बताई:
- साइबर अपराध
- सीमा पर घुसपैठ और सुरक्षा
- ड्रोन का अवैध उपयोग और उसका नियंत्रण
- नशीले पदार्थों की रोकथाम
- डार्क वेब का दुरुपयोग
उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
अगले दशक का विजन:
- शाह ने विश्वास जताया कि आने वाला दशक भारत की न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे अधिक वैज्ञानिक और कुशल बनाएगा।
- उन्होंने पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने और उन्हें मजबूत बनाने की दिशा में हुए कार्यों पर भी प्रकाश डाला।
यह घोषणाएं भारत की न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही हैं, जो न्याय तक पहुंच को तेज और अधिक प्रभावी बनाएंगी।
VIKAS TRIPATHI
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