
“इस बार बिहार की जनता को मजबूरी में सांपनाथ और नागनाथ (आरजेडी और बीजेपी) में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को वैशाली में आयोजित जनसभा में यह दावा करते हुए आरजेडी और बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अब बिहार की जनता के पास जन सुराज के रूप में एक नया और बेहतर विकल्प मौजूद है।
“जाति-धर्म नहीं, अपने बच्चों का भविष्य देखकर करें वोट”
महुआ प्रखंड स्थित गांधी मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वैशाली लोकतंत्र की जननी रही है। यह वही भूमि है, जहां से पाटलिपुत्र का शासन चलता था, और नालंदा-विक्रमशिला जैसी विश्वविद्यालयों में दुनिया भर के छात्र ज्ञान अर्जन के लिए आते थे। लेकिन आज की हकीकत यह है कि यहां के पांच बच्चों को भी अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही।
उन्होंने जनता से अपील की कि इस बार चुनाव में जाति, धर्म या किसी और प्रलोभन के आधार पर वोट न करें, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य, शिक्षा और रोजगार को ध्यान में रखकर मतदान करें। प्रशांत किशोर का विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया।
“बिहार 40 साल से आरक्षण की लड़ाई में उलझा है”
प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि पिछले 40 वर्षों से बिहार का समाज केवल आरक्षण के मुद्दे में उलझा हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य की असली तरक्की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण पर निर्भर है। अगर समाज को आगे बढ़ाना है, तो हमें शिक्षा में निवेश करना होगा और लोगों को स्वरोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध करानी होगी।
“अगर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को सही शिक्षा नहीं दी गई, तो वे व्यवस्था पर बोझ बनेंगे। हमें उनके ऊपर इतना निवेश करना होगा कि वे उत्पादक बनें, समाज के लिए उपयोगी बनें।”
“झूठे वादों से बिहार का भला नहीं होगा”
प्रशांत किशोर ने सरकारों के खोखले वादों पर भी प्रहार करते हुए कहा,
“अभी कुछ लोग महिलाओं को ₹2500 प्रतिमाह देने का वादा कर रहे हैं। लेकिन वे यह नहीं बताते कि इतना पैसा आएगा कहां से? बिहार सरकार का बजट इतना नहीं है कि हर महिला को हर महीने ₹2500 दे सके। ऐसे वादे करने वाले लोग जनता से पहले ही दिन से झूठ बोल रहे हैं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जन सुराज की राजनीति झूठे वादों पर नहीं टिकी होगी। उनका उद्देश्य व्यवस्था में वास्तविक सुधार लाना है, न कि जनता को भावनात्मक रूप से बहला-फुसलाकर वोट बटोरना।
क्या बिहार बदलेगा?
प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। क्या बिहार के मतदाता इस बार सांपनाथ और नागनाथ की राजनीति से अलग हटकर एक नए विकल्प पर विचार करेंगे? यह आने वाले चुनावों में साफ हो जाएगा।

VIKAS TRIPATHI
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