
Bangladesh: भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। हाल ही में बांग्लादेश ने भारत के साथ स्वीकृत बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौता रद्द कर दिया और आलू-प्याज के आयात के लिए अन्य देशों पर विचार करना शुरू कर दिया है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता रहा और भारत ने बांग्लादेश को जरूरी चीजों का निर्यात रोक दिया, तो बांग्लादेश को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
रोटी से होगी दूरी: गेहूं पर असर
बांग्लादेश अपनी बड़ी आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से भारी मात्रा में गेहूं आयात करता है।
- आंकड़ों पर नजर डालें:
- 2021-22 में भारत ने बांग्लादेश को 119.16 करोड़ डॉलर का गेहूं निर्यात किया।
- 2020-21 में यह आंकड़ा 31.03 करोड़ डॉलर था।
अगर भारत ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया, तो बांग्लादेश के लोगों की थाली से रोटी गायब हो सकती है, क्योंकि वहां घरेलू उत्पादन उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
चावल का संकट
बांग्लादेश के लोगों के भोजन में चावल का अहम स्थान है।
- भारत से चावल का आयात बांग्लादेश की खाद्य आपूर्ति का बड़ा हिस्सा है।
- 2021-22 में भारत ने 61.39 करोड़ डॉलर का चावल बांग्लादेश को निर्यात किया।
अगर स्थिति बिगड़ती है और चावल का निर्यात रुकता है, तो बांग्लादेश में खाद्य संकट और गहराएगा।
मीठे के बिना फीकी जिंदगी: चीनी और दूध का संकट
बांग्लादेश के लोग मीठे के शौकीन हैं, लेकिन यह भी भारत से आयातित चीनी पर निर्भर है।
- 2021-22 में बांग्लादेश ने भारत से 56.59 करोड़ डॉलर की चीनी खरीदी।
- 2020-21 में यह आंकड़ा 7.47 करोड़ डॉलर था।
अगर भारत ने चीनी का निर्यात रोक दिया, तो बांग्लादेश न केवल मिठाई बल्कि दूध में मिठास के लिए भी तरस जाएगा।
फल, सब्जियां और अन्य चीजों का आयात भी प्रभावित होगा
भारत बांग्लादेश को फल, सब्जियां, मसाले, कॉटन, ऑयल मील्स और अन्य प्रोसेस्ड फूड्स भी निर्यात करता है। इन चीजों का आयात रुकने से बांग्लादेश की घरेलू अर्थव्यवस्था और आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी पर भारी असर पड़ेगा।
तनाव के आर्थिक और सामाजिक परिणाम
अगर भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्ते बिगड़ते हैं, तो इसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। हालांकि, बांग्लादेश की निर्भरता भारत पर अधिक है। ऐसे में:
- बांग्लादेश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
- आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उछाल आ सकता है।
- जनता का असंतोष बढ़ सकता है, जिससे सरकार को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
क्या हो सकता है समाधान?
भारत और बांग्लादेश के बीच बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए बातचीत और सहयोग जरूरी है। व्यापारिक रिश्तों को मजबूत रखना दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। भारत को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसके फैसलों से सिर्फ बांग्लादेश नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर असर पड़ेगा।
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों में बढ़ती दरार का असर केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी हो सकता है। बांग्लादेश को भारत पर अपनी निर्भरता को समझते हुए अपने रवैये में बदलाव लाना चाहिए। वहीं, भारत को भी अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

VIKAS TRIPATHI
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