Nitin Gadkari Ministry of Road Transport and Highways road safety: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देशभर में ड्राइविंग ट्रेनिंग पॉलिसी लॉन्च की है। इस पॉलिसी के तहत 1250 नए ट्रेनिंग सेंटर और फिटनेस सेंटर खोले जाएंगे, जिनमें 25 लाख नए ड्राइवरों को प्रशिक्षण मिलेगा और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही इन सेंटरों में 15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। गडकरी ने बताया कि इन सभी सेंटरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
सड़क हादसों के इलाज के लिए कैशलेस व्यवस्था
गडकरी ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के घायलों के लिए सरकार ने कैशलेस इलाज की व्यवस्था लागू की है। हादसे में घायल व्यक्ति का सात दिनों तक का इलाज सरकार कराएगी, जिसके लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये का खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा, रोड एक्सीडेंट में किसी की जान बचाने वाले को 5 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस इनाम की राशि बढ़ाने पर विचार हो रहा है, और यह व्यवस्था मार्च 2025 से लागू होगी।
रोड सेफ्टी के लिए जागरूकता अभियान
सड़क सुरक्षा को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए गाना और अन्य अभियानों का आयोजन किया जाएगा। स्कूलों में बच्चों को भी सड़क सुरक्षा के नियमों की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से मिल जाता है, जिसे सख्त बनाने की जरूरत है।
जयपुर हादसे से सीखा सबक
गडकरी ने जयपुर में हुए एक बड़े सड़क हादसे का जिक्र करते हुए कहा कि ड्राइवर का लंबा वर्किंग शेड्यूल हादसे का मुख्य कारण है। यूरोप की तर्ज पर ड्राइवरों के लिए 8 घंटे का नियम लागू करने पर विचार किया जा रहा है। ड्राइवर के काम की निगरानी के लिए आधार कार्ड से जुड़े स्वैपिंग सिस्टम की योजना बनाई जा रही है, जिससे 8 घंटे बाद गाड़ी का इंजन बंद हो जाएगा और दूसरा ड्राइवर काम संभालेगा। हालांकि, ड्राइवरों की कमी के चलते इस नीति को लागू करने में चुनौतियां हैं।
फाइन की जगह पेनाल्टी पर जोर
गडकरी ने बताया कि फाइन की जगह पेनाल्टी का प्रावधान करने पर जोर दिया जा रहा है। फाइन के तहत मामला कोर्ट में जाता है, जबकि पेनाल्टी भरने से प्रक्रिया सरल हो जाती है। इस बदलाव से लोगों को राहत मिलेगी।
गाड़ियों में नई सुरक्षा सुविधाएं
मंत्री ने कहा कि दुर्घटनाओं को कम करने के लिए गाड़ियों में पीछे की सीट बेल्ट और हेलमेट को अनिवार्य किया गया है। बच्चों की सुरक्षा के लिए बेबी सीट के इस्तेमाल का सुझाव भी आया है, लेकिन देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे लागू करने की लागत पर विचार किया जा रहा है।
यह पॉलिसी सड़क परिवहन और सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव का संकेत देती है। इससे न केवल सड़क हादसों में कमी आएगी, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
VIKAS TRIPATHI
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