केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम से बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को राजनीति से संन्यास के संकेत दिए हैं। इस दौरान उन्होंने एक ऐसा बयान दिया, जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
नारनौल के भुंगारका गांव में आयोजित एक चाय कार्यक्रम के दौरान राव इंद्रजीत सिंह ने कहा,“मैंने आज तक किसी की चमचागिरी नहीं की है। अगर मैं चमचागिरी करता, तो मेरी साख बहुत बड़ी होती और आज कैबिनेट मंत्री होता।”
“अब राजनीति में युवाओं को मौका मिलना चाहिए”
राव इंद्रजीत ने कहा कि वे पिछले छह बार से सांसद रहे हैं और अब 74 वर्ष के हो चुके हैं। उन्होंने कहा,“अब ज्यादा घूम-फिर नहीं पाता, लेकिन मेरी बेटी आरती राव राजनीति में सक्रिय है और लोगों के बीच जाती है। मैं चाहता हूं कि राजनीति में युवाओं को ज्यादा अवसर मिले और उन्हें टिकट दिया जाए।”
उन्होंने कहा कि अब समय है कि नई पीढ़ी नेतृत्व संभाले।
“मैं इतने सालों से राजनीति में रहा हूं, अब उम्र का तकाजा है। ज्यादा भागदौड़ नहीं कर सकता, इसलिए युवाओं को आगे लाने की कोशिश कर रहा हूं।”
“स्वार्थ नहीं, इलाके की बात करता हूं”
राव इंद्रजीत ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने क्षेत्र और जनता के हित को प्राथमिकता दी है।“राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन मैंने कभी व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं देखा। जब भी स्वार्थ और इलाके की बात आती है, तो मैं अपने स्वार्थ की बजाय इलाके की बात करता हूं।”
“बीजेपी की जीत जनता की वजह से”
उन्होंने यह भी कहा कि अहीरवाल क्षेत्र में बीजेपी की जीत उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता और जनता के समर्थन का परिणाम है। “लोग कहते हैं कि मेरी वजह से हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में बीजेपी की सीटें आई हैं। यह सही है कि जनता मेरे साथ है, तभी बीजेपी यहां इतनी सीटें जीत सकी। अगर जनता मेरे साथ नहीं होती, तो मैं कुछ भी नहीं।”
राव इंद्रजीत सिंह का यह बयान न सिर्फ़ उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वे अब सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बना सकते हैं। उनकी बेटी आरती राव का राजनीति में बढ़ता कदम यह दर्शाता है कि राजनीतिक विरासत अब नई पीढ़ी को सौंपने की तैयारी शुरू हो चुकी है।














