मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील के खिलाफ रची गई हत्याकांड की साजिश के खुलासे के बाद माहौल गरमाया हुआ है। आरोप है कि जरांगे की हत्या के लिए ढाई करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी। जालना पुलिस ने अमोल खुणे और दादा गरुड को गिरफ्तार कर 12 नवंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। मामले में पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे ने पलटवार करते हुए सीबीआई जांच, ब्रेन-मैपिंग और नार्को-टेस्ट कराने की खुलेआम मांग की है, जबकि जरांगे की सुरक्षा बढ़ाने की आवाज़ भी तेज़ है।
मामला क्या है
सूत्रों के मुताबिक, मनोज जरांगे पाटील पर उनकी हत्या की साज़िश का खुलासा हुआ है — आरोप है कि किसी ने ढाई करोड़ रुपये की सुपारी देकर इस घटना की साजिश रची। जालना पुलिस ने आरोपियों अमोल खुणे और दादा गरुड को गिरफ्तार कर कस्टडी में भेजा है और बीड जिले के रूई धानोरा गांव में अमोल खुणे के घर से साक्ष्य जुटाने के लिए छापे भी मारे गए।
जरांगे की माँगें और सुरक्षा चिंताएँ
जरांगे ने खुद मुख्यमंत्री के OSD से संपर्क कर नार्को-टेस्ट कराने की मांग की है ताकि साजिश के पीछे छिपे चेहरों का पर्दाफाश हो सके। उधर, भाजपा विधायक नारायण कुचे ने आंतरवली सराटी में जरांगे से मुलाकात की और जरांगे के मोबाइल की कुछ ऑडियो क्लिप्स सुनीं — कुचे ने इन क्लिप्स को निंदनीय बताया और मामलों की सख्त व निष्पक्ष जांच की बात कही। कुचे ने जालना पुलिस अधीक्षक से जरांगे की सुरक्षा बढ़ाने पर चर्चा की और यह मुद्दा मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन भी दिया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
सोलापुर में मराठा समाज के कार्यकर्ताओं ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के खिलाफ नारेबाजी की और उनके पोस्टरों पर चप्पल भी फेंकी। समाज के नेताओं — माऊली पवार, प्रशांत देशमुख और महेश पवार — ने मांग की है कि मुंडे को इस साजिश का मुख्य आरोपी मानते हुए सीबीआई जांच कराई जाए और जरांगे को Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाए। मराठा समाज ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
मुंडे का जवाब और उनकी मांगें
बीड से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे ने जरांगे के आरोपों को फर्जी और बेबुनियाद कहा है। मुंडे ने कहा कि जरांगे, आरोपी और मैं — तीनों की सीबीआई जांच हो, साथ ही ब्रेन-मैपिंग और नार्को-टेस्ट कराए जाएँ ताकि असलियत सामने आए। मुंडे ने आरोप लगाया कि जरांगे और उनकी टोली ओबीसी नेतृत्व को खत्म करने की साज़िश कर रही है और कहा कि जरांगे की टीम ऑन-एयर उन्हें खत्म करने की बातें कर रही है — इसलिए सरकार चुप क्यों है, उन्होंने पूछा।
भावुक होते हुए मुंडे ने कहा: “मुझे गोली मार दो, लेकिन ओबीसी समाज के निर्दोष लोगों को मत मारो। आरक्षण की लड़ाई धमकी से नहीं, बातचीत से जीतनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि AI तकनीक से नकली ऑडियो क्लिप या वीडियो बनाकर उन्हें फंसाने की कोशिश हो सकती है और इसलिए वैज्ञानिक व निष्पक्ष तरीके से जांच ज़रूरी है। मुंडे ने जरांगे को SPG सुरक्षा देने की भी मांग रखी है।
आरोपियों के परिजन और उनका बयान
गिरफ़्तार किए गए अमोल खुणे के परिवार ने सख़्ती से इन आरोपों का खंडन किया है। अमोल की पत्नी दीपाली खुणे ने कहा कि उनका पति जरांगे का समर्थक था, दुश्मन नहीं — किसी ने उसे शराब पिला कर फंसाया होगा। अमोल की मां ने भी कहा कि मेरे बेटे ने कभी सुपारी नहीं ली और वे आंदोलन के साथ रहे हैं; उनका कहना है, “हमें सिर्फ़ न्याय चाहिए।”
आगे का रास्ता
मामले में जांच तेज़ होने और दोनों पक्षों की संदिग्ध दावों के बीच राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। मराठा समाज के नेतृत्व का दबाव और विपक्षी प्रतिक्रियाएँ मिलकर इस मसले को संवेदनशील बनाते हैं। अब प्रशासनिक स्तर पर क्या कदम उठाए जाते हैं — सीबीआई को सौंपा जाता है या स्थानीय पुलिस जांच आगे बढ़ती है — इससे आंदोलन की दिशा और तेज़ी का अंदाज़ा लगेगा।














