Tuesday, July 1, 2025
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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियों के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट तेज, विपक्षी एकता की नई पटकथा तैयार?

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ा फेरबदल हो सकता है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और मनसे (राज ठाकरे) के बीच गठबंधन की चर्चा अब सिर्फ अटकलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि दोनों दलों के नेताओं ने इसे लेकर सकारात्मक संकेत भी दे दिए हैं।

आदित्य ठाकरे, किशोरी पेडनेकर, और संजय राउत जैसे प्रमुख नेता अब खुलकर गठबंधन को समय की ज़रूरत बता रहे हैं। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी इस पर जनता की राय को सर्वोपरि बताते हुए संकेत दिया है कि “जनता जो चाहेगी, वही होगा।”

आदित्य ठाकरे ने क्या कहा?
रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदित्य ठाकरे ने स्पष्ट किया कि राज्य में अत्याचार और अस्थिरता बढ़ी है, जिसे रोकने के लिए सभी समान विचारधारा वाली ताकतों को एक मंच पर आना होगा।
उन्होंने कहा –

“महाराष्ट्र में बदलाव लाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है। अगर राज्य के हित में सोचने वाली ताकतें एकजुट होती हैं, तो यह जनहित में बड़ा कदम होगा।”

उद्धव ठाकरे का रुख—’जनता का मन ही हमारा मार्गदर्शन’
जब उद्धव ठाकरे से गठबंधन पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने संक्षेप में कहा –

“जनता के मन में जो है, वही होगा। हमारे शिवसैनिक भ्रम में नहीं हैं। हम समय आने पर खुद सब कुछ बताएंगे।”

उनके इस बयान को सियासी जानकार गठबंधन के लिए ‘संकेतात्मक स्वीकृति’ के तौर पर देख रहे हैं।

मनसे-शिवसेना गठबंधन पर किशोरी पेडनेकर और संजय राउत का बयान
ठाकरे गुट की नेता किशोरी पेडनेकर ने कहा –

“हम इस गठबंधन को लेकर सकारात्मक हैं। 2022 के राजनीतिक संकट के बाद से राज्य में प्रवासी राजनीति हावी हो गई है। अब ज़रूरत है कि महाराष्ट्र के मूल स्वाभिमान के लिए हम एकजुट हों।”

संजय राउत ने भी साफ शब्दों में कहा –

“हम पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहते, क्योंकि पीछे सिर्फ कीचड़ है। हमें आगे देखना है – और अगर वो रास्ता गठबंधन से होकर गुजरता है, तो हम तैयार हैं।”

क्या फिर साथ आएंगे राज और उद्धव ठाकरे?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, जो एक समय बाल ठाकरे की विरासत को साझा करते थे, अब वर्षों बाद अगर साथ आते हैं, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है।

जहां मनसे अब तक मराठी अस्मिता और हिंदुत्व आधारित राजनीति को अपने एजेंडे में रखती आई है, वहीं उद्धव ठाकरे का गुट हाल के वर्षों में सामाजिक न्याय और सेक्युलर गठजोड़ की तरफ झुका है। ऐसे में इन दोनों विचारधाराओं का एक मंच पर आना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण समीकरण बना सकता है।

निगाहें अब निकाय चुनाव पर
इस गठबंधन की पहली परीक्षा आगामी महाराष्ट्र निकाय चुनाव होंगे, जहां भाजपा-शिंदे गठबंधन के खिलाफ एकजुट विपक्ष मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है।

यह सिर्फ गठबंधन नहीं, महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत है।

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