बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सीधा हमला बोला है। इतना ही नहीं, उन्होंने पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की कार्यशैली को भी कठघरे में खड़ा करते हुए उन्हें धृतराष्ट्र तक कह डाला।
‘लालू धृतराष्ट्र, तेजस्वी बिना संघर्ष के मुख्यमंत्री बनने के सपने देखते रहे’
शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए दावा किया कि
“लालू यादव धृतराष्ट्र की तरह अपने बेटे के लिए सिंहासन गर्म करने में लगे हैं, जबकि तेजस्वी यादव बगैर संघर्ष के मुख्यमंत्री बनने के सपने देखते रह गए। यही वजह है कि जनता ने उन्हें नकार दिया।”
उन्होंने कहा कि राजनीति में संघर्ष की कोई जगह नहीं ले सकता, जनता के बीच लगातार सक्रिय रहकर ही भरोसा जीता जा सकता है। तिवारी के अनुसार, तेजस्वी सपना देखते रहे और एनडीए ने चुनाव जीत लिया।
‘संघर्ष करो, पुलिस की मार खाओ, जेल जाओ’
तिवारी ने यह भी तंज कसा कि तेजस्वी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाया और कार्यकारिणी से भी बाहर कर दिया, क्योंकि वे संगठन को संघर्ष के रास्ते पर ले जाने की सलाह दे रहे थे।
उन्होंने कहा,
“मैं कह रहा था कि मतदाता सूची का सघन पुनर्निरीक्षण लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। इसके खिलाफ राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरो, संघर्ष करो, पुलिस की मार खाओ, जेल जाओ। बस इतनी सी बात पर तेजस्वी और उनके सलाहकार चिढ़ गए।”
‘तेजस्वी सच्चाई नहीं सुन सकते, चाटुकारों से घिरे हैं’
तिवारी का आरोप है कि चुनाव के दौरान तेजस्वी ‘सपनों की दुनिया’ में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए घूम रहे थे, जबकि वे लगातार उन्हें वास्तविकता का आईना दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
लालू यादव पर भी निशाना—‘उनकी इच्छा आज पूरी हो गई’
बिहार आंदोलन की याद साझा करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि जेल के दिनों में लालू प्रसाद यादव ने उनसे स्वीकार किया था कि वे राम लखन सिंह यादव जैसे नेता बनना चाहते हैं। तिवारी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि
“ऊपर वाला शायद सुन लेता है। आज हालात देखकर लगता है कि उनकी वह इच्छा पूरी हो गई है।”
उन्होंने तंज करते हुए कहा कि लालू परिवार की पूरी कोशिशों के बावजूद पार्टी केवल 25 सीटों पर सिमट कर रह गई।














