नई दिल्ली — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के पीछे की कहानी अब धीरे-धीरे सामने आ रही है — और यह महज “स्वास्थ्य कारणों” की बात नहीं लगती। सूत्रों के हवाले से जो घटनाक्रम निकलकर सामने आ रहा है, वह एक उच्चस्तरीय टकराव, व्यक्तिगत असंतोष और राजनीतिक हाशिए पर धकेले जाने की कहानी कहता है।
‘मेरे काउंटरपार्ट हैं!’ — जेडी वेंस से मुलाकात पर विवाद
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए, तो उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह कहते हुए उनसे मुलाकात की इच्छा जताई कि “वो मेरे समकक्ष हैं, मैं उनसे मिलूंगा।” लेकिन मामला यहीं नहीं रुका — एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने धनखड़ को फोन कर सूचित किया कि वेंस इस दौरे पर डोनाल्ड ट्रंप का संदेश सीधे प्रधानमंत्री मोदी के लिए लेकर आए हैं, इसलिए प्राथमिकता का क्रम अलग है।
यह क्षण संभवतः उस तनाव की शुरुआत थी जो अंततः धनखड़ के इस्तीफे तक ले गया।
‘मेरी तस्वीर पीएम-राष्ट्रपति के साथ लगाओ!’ — उपराष्ट्रपति की बढ़ती नाराजगी
अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि धनखड़ लगातार अपने पोर्ट्रेट को मंत्रियों के कार्यालयों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरों के साथ लगाने का दबाव बना रहे थे। यही नहीं, उन्होंने उप-राष्ट्रपति के बेड़े की सभी गाड़ियों को मर्सिडीज़ में बदलवाने की मांग भी कई बार रखी।
राष्ट्रपति भवन में बिना समय लिए पहुंचे, 25 मिनट इंतज़ार कर इस्तीफा सौंपा
घटना की सबसे नाटकीय बिंदु तब आया जब धनखड़ बिना पूर्व सूचना के राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। स्टाफ के बीच हड़कंप मच गया। उस समय शाम का वक्त था, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को औपचारिक पोशाक में आने में समय लगा। इस बीच, धनखड़ 25 मिनट तक राष्ट्रपति का इंतजार करते रहे — और अंततः उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा सौंप दिया।
धनखड़ को उम्मीद थी कि सरकार उन्हें मनाने की कोशिश करेगी। लेकिन कोई प्रयास नहीं हुआ। उस रात 9 बजे के करीब, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। अगले ही दिन राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
विपक्ष का हमला — “ये सिर्फ सेहत नहीं, सत्ता का झटका है!”
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस पूरे घटनाक्रम को महज़ स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं मान रहे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि धनखड़ पूरे दिन ठीक थे, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें रात में इस्तीफा देना पड़ा?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाया — “अगर उनकी तबीयत वाकई खराब थी, तो बीजेपी का कोई बड़ा नेता उनका हालचाल लेने क्यों नहीं गया?”
ममता बनर्जी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी — “स्वास्थ्य ठीक है उनका। बाकी कुछ नहीं कहना चाहती।”
क्या था असली कारण?
कई जानकार मानते हैं कि धनखड़ को सत्ता के ऊपरी गलियारों में वह सम्मान और स्वतंत्रता नहीं मिल रही थी जिसकी उन्हें अपेक्षा थी। उनकी नाराजगी अब सार्वजनिक इस्तीफे के रूप में सामने आई है, लेकिन इसके पीछे की असली राजनीति अभी भी परदे के पीछे है।
राजनीतिक संकेत: अगला कदम क्या होगा?
अब सवाल यह है — क्या धनखड़ फिर से सक्रिय राजनीति में लौटेंगे? या ये सिर्फ सत्ता से दूर किए जाने की एक चुप्पी भरी प्रतिक्रिया थी?