नई दिल्ली / इस्लामाबाद:
भारत और पाकिस्तान के बीच अब पारंपरिक सीमा संघर्ष से आगे बढ़ते हुए ‘ड्रोन वॉर’ का नया अध्याय शुरू हो चुका है। दोनों देश एक-दूसरे पर ड्रोन से हमले कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि उन्होंने दुश्मन के ड्रोन को एंटी-ड्रोन सिस्टम से गिरा दिया है। हालिया घटनाओं में पाकिस्तान ने भारत पर तुर्की निर्मित ड्रोन से हमला किया, वहीं भारत ने लाहौर सहित पाकिस्तान के कई इलाकों में ड्रोन हमले किए हैं। दोनों देशों का दावा है कि उन्होंने एक-दूसरे के कई ड्रोन को गिरा दिया है।
अब सवाल उठता है कि एंटी-ड्रोन सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
क्या होता है एंटी-ड्रोन सिस्टम?
एंटी-ड्रोन सिस्टम एक रक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य दुश्मन के ड्रोन को उसके लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही निष्क्रिय या नष्ट करना होता है। कोई भी हमला करने वाला ड्रोन पहले से तय GPS-आधारित टारगेटिंग और कैमरा निगरानी के जरिए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। यही वह वक्त होता है जब एंटी-ड्रोन सिस्टम सक्रिय हो जाता है और ड्रोन को बीच में ही रोक देता है।
एंटी-ड्रोन सिस्टम कैसे काम करता है?
TV9 हिंदी से बातचीत में IIT दिल्ली के पूर्व छात्र और ‘BotLab Dynamics’ के फाउंडर तन्मय बुनकर, जो भारत में कई मेगा ड्रोन शो आयोजित कर चुके हैं, बताते हैं कि किसी भी ड्रोन को तीन तरीकों से रोका जा सकता है:
- GPS Jam करना – ड्रोन की दिशा भ्रमित हो जाती है।
- Communication Block करना – ऑपरेटर से संपर्क टूट जाता है।
- Hardware Damage – ड्रोन की बॉडी को फिजिकली गिराना या नष्ट करना।
तन्मय के अनुसार, जैसे ही किसी ड्रोन का GPS और कम्युनिकेशन सिस्टम निष्क्रिय हो जाता है, उसकी सटीकता खत्म हो जाती है और वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता। यही वजह है कि दोनों देशों के कई ड्रोन मिशन से पहले ही फेल हो रहे हैं।
क्या एंटी-ड्रोन सिस्टम भी विफल हो सकता है?
तन्मय बुनकर कहते हैं कि एंटी-ड्रोन सिस्टम को भी मात दी जा सकती है, जिसे तकनीकी भाषा में “सेचुरेशन अटैक” कहा जाता है। इसमें दुश्मन एक साथ बड़ी संख्या में ड्रोन छोड़ता है, जिससे रडार सिस्टम भ्रमित हो जाता है कि पहले किसे निशाना बनाए। इस स्थिति में कई ड्रोन अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं और एंटी-ड्रोन सिस्टम अधूरी प्रतिक्रिया देता है या पूरी तरह फेल हो जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: दूसरा फेज और बढ़ता ड्रोन तनाव
इस पूरी ड्रोन वॉर को भारत की तरफ से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका दूसरा चरण फिलहाल जारी है। यह सिर्फ एक सामरिक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि तकनीकी प्रभुत्व की लड़ाई भी बन चुकी है।
भविष्य की जंगों का चेहरा बदल रहा है
ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम अब युद्ध की परिभाषा बदल रहे हैं। पारंपरिक हथियारों से इतर, यह लड़ाई अब टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की है। भारत और पाकिस्तान के बीच यह “ड्रोन बनाम एंटी-ड्रोन” संघर्ष आने वाले दिनों में और भी तेज़ हो सकता है।