Sunday, November 2, 2025
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बिहार की राजनीति में बाहुबल और बैलेट का संगम हमेशा से चर्चा में रहा…..अब एक बार फिर यह इलाका सुर्खियों में है

बिहार का मोकामा — जो कभी अपराध की नर्सरी कहा जाता था — आज राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है। हाल ही में यहां एक बार फिर गोलियों की आवाज़ गूंजी, जब बाहुबली सूरजभान सिंह के करीबी माने जाने वाले दुलारी यादव की हत्या कर दी गई। घटना के वक्त जदयू उम्मीदवार और पूर्व सांसद अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार का काफिला गुजर रहा था, और यही वजह है कि आरोपों के घेरे में वे आ गए। अगले ही दिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि हत्या किसने और क्यों कराई, लेकिन इस वारदात ने मोकामा की राजनीति में गहरी हलचल पैदा कर दी है।


दुलारी यादव: अपराध की दुनिया का बड़ा नाम

दुलारी यादव का अतीत भी अपराध और प्रभाव से भरा था। उन पर दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे और वे लंबे समय से सूरजभान सिंह के समर्थक माने जाते थे। दूसरी ओर, अनंत सिंह — जो अभी-अभी जमानत पर जेल से बाहर आए हैं — मोकामा की राजनीति में बाहुबल और लोकप्रियता का अनोखा मिश्रण हैं।
जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अनंत सिंह के पक्ष में क्षेत्र में मजबूत माहौल बताया जा रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वे सचमुच चुनाव से पहले इतना बड़ा जोखिम उठा सकते हैं?


क्या सूरजभान का नाम महज़ अफवाह है?

कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह पूरा घटनाक्रम अनंत सिंह को फंसाने की साज़िश हो सकता है। लेकिन सूरजभान सिंह की राजनीतिक सूझबूझ और रणनीतिक चालों को देखते हुए यह मानना मुश्किल है कि वे ऐसा कोई कदम उठाएंगे, जो खुद उनके लिए उलटा पड़ जाए।
मौजूदा हालात में यह वारदात सूरजभान के लिए नुकसानदेह साबित हुई है, क्योंकि जनता के बीच अब सहानुभूति लहर अनंत सिंह के पक्ष में जाती दिख रही है।


या फिर किसी तीसरे ने खेला दांव?

मोकामा के जानकार मानते हैं कि यह सिर्फ दो बाहुबलियों की लड़ाई नहीं, बल्कि किसी तीसरे खिलाड़ी का सुनियोजित कदम हो सकता है। कुछ लोगों की नजरें जनसुराज के प्रशांत किशोर पर हैं — जिन्होंने हाल के वर्षों में मोकामा और आस-पास के इलाकों में मजबूत राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की है।
हालांकि, फिलहाल यह सिर्फ अटकलें हैं, लेकिन इस घटना ने अनंत सिंह को अप्रत्याशित राजनीतिक लाभ जरूर दिलाया है।


सोशल मीडिया पर छोटे सरकार की लहर

अनंत सिंह की सोशल मीडिया टीम ने उनकी गिरफ्तारी का वीडियो जारी किया, जिसमें 150 से अधिक पुलिसकर्मी उन्हें गिरफ्तार करते नजर आ रहे हैं।
यह वीडियो 9 घंटे में 25 लाख से अधिक बार देखा गया। नतीजा — मोकामा से लेकर बेगूसराय, मुंगेर और मुजफ्फरपुर तक भूमिहार समुदाय में सहानुभूति की लहर उठ खड़ी हुई।
#AnantSingh सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, और आम चर्चा है — “भूमिहार ने गुअरबा को मार दिया।”


राजनीति में बदलते समीकरण

यह सहानुभूति लहर अनंत सिंह के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। भूमिहार समाज में उनकी एकजुटता और समर्थन अब पहले से कहीं अधिक दिख रहा है। दूसरी ओर, प्रशासन ने मोकामा में सख्ती बढ़ा दी है — ताकि चुनाव में किसी की मनमानी न चल सके।
परंतु इतना तय है कि मोकामा की यह कहानी अब सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि राजनीति की नई पटकथा भी लिख रही है।

मोकामा का यह ताजा प्रकरण दिखाता है कि बिहार की राजनीति में बाहुबल और जनभावना का समीकरण अब भी कितना जीवित है।
एक हत्या ने पूरे चुनावी परिदृश्य को बदल दिया है — और छोटे सरकार फिर से सुर्खियों के केंद्र में हैं।

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VIKAS TRIPATHI
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