Friday, October 24, 2025
Your Dream Technologies
HomePARDAFHAAS BREAKINGबसपा में हाई-वोल्टेज ड्रामा: शमसुद्दीन राईन को सुबह मंडल प्रभारी बनाकर दोपहर...

बसपा में हाई-वोल्टेज ड्रामा: शमसुद्दीन राईन को सुबह मंडल प्रभारी बनाकर दोपहर में ही निष्कासन

बसता इंतजार और राजनीतिक तकरार के बीच उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में बुधवार को चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया — पार्टी के प्रभावशाली नेता शमसुद्दीन राईन को सुबह लखनऊ व कानपुर मंडल का प्रभारी नियुक्त किया गया, जबकि दोपहर तक उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने राईन पर गुटबाजी बढ़ाने और अनुशासनहीनता के आरोप लगाकर निष्कासन का पत्र जारी किया।


सुबह की नियुक्ति, दोपहर का निष्कासन — घटनाक्रम

बसपा ने दीपावली के दिन कुछ मंडल प्रभारी बदल दिए थे; शुरुआती आदेश के तहत राईन को बरेली मंडल का दायित्व दिया गया था।

अगले दिन सुबह ही उनकी जिम्मेदारी बदलकर उन्हें लखनऊ व कानपुर मंडल का प्रभारी बनाया गया।

दो घंटे के भीतर ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का फोन आया, जिसे राईन ने कथित रूप से रिसीव नहीं किया — यह घटना पार्टी नेतृत्व ने अनुशासनहीनता माना।

दोपहर में प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने आधिकारिक तौर पर राईन का निष्कासन घोषित कर दिया और कहा कि कई चेतावनियों के बावजूद उनकी कार्यशैली में सुधार नहीं आया।


पार्टी के आरोप और राईन का पलटवार

पार्टी के पत्र में कहा गया है कि राईन ने बार-बार चेतावनी मिलने के बाद भी गुटबाजी को बढ़ावा दिया और अनुशासनहीनता बरती। एक ताज़ा आरोप अक्टूबर में हुई रैली से जुड़ा है — कहा जाता है कि राईन ने अपने प्रभार वाले जिलों से आने वाले वाहनों पर विश्वनाथ पाल की तस्वीर वाले होर्डिंग और बैनर लगाने से रोका था, जिसे पार्टी ने गंभीर बताया।

शमसुद्दीन राईन ने इसका खंडन किया और कहा कि उन्हें सुबह बहन जी (मायावती) ने मंडल की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन वे देर रात जागने के कारण सुबह जल्दी नहीं उठ पाए और फोन रिसीव नहीं कर सके। उन्होंने कहा, “मैंने कभी गुटबाजी या अनुशासनहीनता नहीं की।”


बूथ से कद्दावर नेता तक — राईन का राजनीतिक सफर

राईन पार्टी में सामान्य बूथ कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए और संगठनात्मक क्षमता व मेहनत के दम पर धीरे-धीरे सशक्त नेता बने। 2017 में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी छोड़ने के बाद वे बसपा में एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा के रूप में उभरे। उनकी grassroots पकड़ और सक्रियता ने उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया, लेकिन विवादों से उनका पुराना नाता भी रहा है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार उनकी स्वतंत्र कार्यशैली और कुछ वरिष्ठ नेताओं से मतभेद समय-समय पर सामने आते रहे हैं, जिससे उनकी उभरती भूमिका पर सवाल उठते रहे।


राजनीतिक निहितार्थ — क्या बसपा को झटका लगेगा?

राईन का निष्कासन बसपा के लिए संवेदनशील स्वरूप का मामला है क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा माना जाता रहा है। एक प्रभावशाली मुस्लिम चेहरे के बाहर होने से पार्टी के समन्वय और जनसंपर्क पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

सवाल यह है कि यह कदम अनुशासन सख्त करने का संकेत है या आंतरिक गुटबाजी का नतीजा — और क्या इससे पार्टी की कार्यकुशलता व सहमति पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा। फिलहाल बसपा के भीतर उठती हलचल और राईन के अगले कदम पर राजनीतिक निगाहें टिकी हैं।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button