देशभर के 100 चयनित प्रतिनिधि, शिक्षा के भारतीयकरण पर चार दिवसीय मंथन प्रारंभ
कालड़ी, केरल | 25 जुलाई 2025 भारत की शिक्षा प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुक्रवार से केरल स्थित आदि शंकराचार्य जी की जन्मभूमि कालड़ी में प्रारंभ हुई। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन बैठक का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के कर कमलों से हुआ। बैठक में देशभर से चयनित 100 प्रमुख कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं।
“भाषण नहीं, व्यवस्था परिवर्तन करेंगे” — डॉ. अतुल कोठारी
उद्घाटन सत्र में न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा,“शिक्षा में भौतिकता और आध्यात्मिकता दोनों का समन्वय आवश्यक है। हमें समस्या नहीं, समाधान की चर्चा करनी है। यह बैठक बीते पांच वर्षों की समीक्षा और आगे की दिशा तय करने का मंच है।”
उन्होंने कहा कि शिक्षा में परिवर्तन केवल एक संस्था या मंच से संभव नहीं, बल्कि इसके लिए पूरे समाज को एक दिशा में संगठित होकर चलना होगा। उन्होंने न्यास की चिंतन बैठक की ऐतिहासिक श्रृंखला को रेखांकित करते हुए बताया कि पहली बैठक 2012 में वृंदावन, दूसरी 2019 में कोयंबतूर, और यह तीसरी बैठक आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि कालड़ी में हो रही है।
“भारतीय ज्ञान परंपरा से होगा शिक्षा का पुनरुत्थान” — स्वामी विवित्तानंद
चिन्मय मिशन, केरल के प्रमुख आचार्य विवित्तानंद जी ने कहा,“हमारा सौभाग्य है कि भारतीय शिक्षा को पुनः जागृत करने की दिशा में यह राष्ट्रीय मंथन हमारे परिसर में हो रहा है। मैकॉले की पद्धति समाप्त होने की ओर है — अब शिक्षा का भारतीयकरण पूरे देश में होगा।”
“शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, पूर्ण मानव निर्माण है” — डॉ. पंकज मित्तल
न्यास की अध्यक्षा डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि भारतीय शिक्षा केवल जीविकोपार्जन तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह मनुष्य को ‘पूर्ण मानव’ बनाने का माध्यम थी। न्यास प्रारंभ से ही भारतीय ज्ञान परंपरा को आधार बनाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा का विकल्प देने में संलग्न है।
डॉ. कोठारी: आंदोलन से विकल्प निर्माण तक की विकास यात्रा
बैठक के द्वितीय सत्र में डॉ. कोठारी ने न्यास की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहले शिक्षा बचाओ आंदोलन के माध्यम से देशभर में चेतना जागृत की गई और फिर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के रूप में एक ठोस विकल्प प्रस्तुत किया गया। वर्तमान में न्यास 11 विषयों, 3 आयामों, 3 कार्य विभागों और 2 राष्ट्रीय अभियानों पर काम कर रहा है।
उन्होंने स्पष्ट कहा:“हम केवल भाषण देने नहीं आए हैं, हम सिस्टम में जाकर बदलाव करेंगे। शिक्षा में जमीनी परिवर्तन समाज की जिम्मेदारी है — और इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करना होगा।”
प्रमुख अतिथि और प्रतिनिधि उपस्थित
इस सत्र में डॉ. मोहन भागवत के साथ चिन्मय मिशन के स्वामी विवित्तानंद, डॉ. पंकज मित्तल, ए. विनोद, सुदर्शन जी, और संजय स्वामी (न्यास के सह-संयोजक) मौजूद थे।
प्रचार प्रमुख अथर्व शर्मा ने जानकारी दी कि आगामी दिनों में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन मंथन और रणनीति निर्माण किया जाएगा।
मुख्य बिंदु (Highlight Bullets)
शंकराचार्य की जन्मभूमि से शिक्षा पुनरुत्थान का संदेश
डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में राष्ट्रीय चिंतन बैठक प्रारंभ
देशभर के 100 कार्यकर्ता, 11 विषयों पर चार दिवसीय गहन मंथन
शिक्षा में भारतीय मूल्यों, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय
“भाषण नहीं, व्यवस्था परिवर्तन करेंगे” — न्यास का संकल्प