
Maharashtra’s Bhandara Explosion in Ordnance Factory: महाराष्ट्र के भंडारा में स्थित सेना की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में आज सुबह-सवेरे हुए धमाके से पूरा इलाका दहल गया। इस हादसे में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 7 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि फैक्ट्री की छत गिरने से करीब 13-14 लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है। धमाका इतना जोरदार था कि इसकी आवाज पांच किलोमीटर दूर तक सुनी गई।
घटनास्थल पर नजर रख रहे फडणवीस और गडकरी
घटना की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मामले पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।
भंडारा की फैक्ट्री में बनते हैं ये हथियार
भंडारा की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री भारतीय सेना के लिए प्रोपेलेंट बनाती है। ये प्रोपेलेंट कई तरह के हथियारों के लिए जरूरी होते हैं:
- सिंगल बेस प्रोपेलेंट: तोप, छोटे हथियार और ग्रेनेड में इस्तेमाल होने वाला विस्फोटक, जिसमें नाइट्रोसेल्यूलोज और स्टेबलाइजर जैसे घटक होते हैं।
- डबल बेस प्रोपेलेंट: जिसे बैलिस्टाइट के नाम से भी जाना जाता है। यह आधुनिक विस्फोटक नाइट्रोग्लिसरीन और नाइट्रोसेल्यूलोज से बनता है, जिसका उपयोग बैलिस्टिक मिसाइल और अन्य सैन्य जरूरतों में होता है।
- डबल-बेस रॉकेट प्रोपेलेंट: रॉकेट और मिसाइल के लिए जरूरी ईंधन और ऑक्सीडाइजर से युक्त यह प्रोपेलेंट फैक्ट्री का एक और मुख्य उत्पाद है।
डीआरडीओ: भारत की रक्षा तकनीक का आधार
भंडारा की इस फैक्ट्री का संचालन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत होता है। डीआरडीओ 1958 में स्थापित किया गया था और यह भारत के सशस्त्र बलों के लिए रक्षा तकनीक विकसित करने का कार्य करता है।
डीआरडीओ ने भारतीय सेना के लिए कई आधुनिक हथियार और उपकरण बनाए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- अग्नि और पृथ्वी मिसाइल: स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी।
- ब्रह्मोस मिसाइल: भारत-रूस सहयोग से बनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल।
- तेजस लड़ाकू विमान: स्वदेश में विकसित मल्टीरोल लड़ाकू विमान।
- जोरावर टैंक: हल्का और अत्याधुनिक टैंक।
धमाके की जांच जारी
भंडारा की इस घटना ने सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि धमाके का कारण क्या था। राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी है, और मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।भंडारा का यह हादसा न केवल मानव जीवन की क्षति है, बल्कि भारत की रक्षा उत्पादन प्रणाली पर भी गहरा आघात है। सरकार और सेना को ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।