पणजी स्थित एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने 10 अक्टूबर 2025 को समन्वित छापेमारियाँ कीं — गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में कुल 6 स्थानों पर तलाशी ली गई। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई, और मामला यशवंत सावंत व अन्य के खिलाफ चल रहे जमीन-घोटाले से जुड़ा है।
प्रमुख घटनाएँ — संक्षेप में (टाइमलाइन)
9 सितंबर 2025: ED की एक पिछली छापेमारी में खुलासा हुआ कि शिवशंकर मयेकर और अन्य ने फर्जी परिचयों/नामों से कई जमीनें खरीदीं — ये संपत्ति मुख्यतः अंजुना व असगांव जैसे गोवा के लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र में पाई गयीं।
1 अक्टूबर 2025: ED ने शिवशंकर मयेकर को गिरफ्तार किया।
10 अक्टूबर 2025: ED ने गोवा—दिल्ली—चंडीगढ़ के 6 ठिकानों पर तलाशी ली; अहम सामग्री बरामद कर कुछ डिजिटल और क्रिप्टो असेट्स को फ्रीज़ किया गया।
उसी समय ED मुंबई रीजनल ऑफिस ने अलग जांच में अनिल पवार, सीताराम गुप्ता और अन्य की करीब ₹71 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच (कुर्क) किया। यह मुंबई-क्षेत्रीय मामला मीरा भायंदर पुलिस द्वारा दर्ज F.I.R. से जुड़ा है और वसई-विरार क्षेत्र में 2009 से चल रहे अवैध निर्माण-लेनदेन से संबंधित है।
तलाशी में क्या मिला (मुख्य बिंदु)
क्रिप्टो वॉलेट: लगभग 1.5 लाख USDT (यानी 150,000 USDT) बरामद/पहचाना गया—ED ने इसे फ्रीज़ कर दिया।
दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड: जमीन निवेश से जुड़े कई नोट्स, एमओयू (MoU), लीज़ एग्रीमेंट्स और अन्य डिजिटल रिकॉर्ड मिले — जो जमीन के स्वामित्व-हस्तांतरण व लेनदेन संबंधी दावों की जांच में अहम हैं।
तलाशी के ठिकाने/लोग: ED ने तलाशी ली — जिनमें उमर ज़हूर शाह और नीरज शर्मा (M/s Thinking of You के पार्टनर) तथा राजेश कुमार (M/s Purple Martini Entertainment Pvt. Ltd. के डायरेक्टर) के ठिकाने शामिल बताए गए हैं।
मामला—पृष्ठभूमि और आरोप
गोवा पुलिस द्वारा दर्ज FIR के अनुसार, आरोप है कि यशवंत सावंत और अन्य ने अंजुना की ‘कॉम्युनिडाडे’ की जमीन (Survey No. 496/1-A) के मालिकाना हक़ को नक़ली दस्तावेज़ों के ज़रिए अपने नाम कराया और फिर उसे बेचा। ऐसी गतिविधियाँ अवैध आय / Proceeds of Crime (PoC) उत्पन्न करती हैं, जिसे PMLA के तहत रोकना और संबद्ध संपत्तियों को जब्त करना ED की जिम्मेदारी है।
ED का कहना है कि छापेमारियों में मिले एमओयू और लीज़ एग्रीमेंट से यह पैटर्न सामने आता है कि जमीनों के स्वामित्व और लेन-देन में कथित तौर पर एक व्यापक नेटवर्क शामिल था — जिससे यह संदेह उठता है कि केवल कुछ व्यक्तिगत घोटाले नहीं, बल्कि संरचित रूप से संपत्तियों का ज़ाली उपयोग हुआ है।
ED मुंबई रीजनल ऑफिस की कार्रवाई (वसई-विरार मामला)
ED मुंबई ने मीरा-भायंदर पुलिस की दर्ज FIR के आधार पर अलग रेंज की जांच में अनिल पवार, सीताराम गुप्ता और अन्य आरोपियों की कुल ≈ ₹71 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी तौर पर कुर्क कर दिया। यह मामला सरकारी व निजी जमीनों पर 2009 से हो रहे अवैध आवासीय व वाणिज्यिक निर्माण से जुड़ा है — जिसमें बिल्डरों, स्थानीय गुर्गों और अन्य की संलिप्तता के आरोप हैं। ED का कहना है कि इन संपत्तियों की जाँच व प्रोसीडिंग जारी है।
कानूनी प्रक्रिया—अगले कदम (क्या अपेक्षित है)
आगे की पूछताछ: ED अब बरामद दस्तावेज़ों, डिजिटल रिकॉर्ड्स और फॉरेंसिक साक्ष्यों का विश्लेषण करेगी—जिससे नेटवर्क और लेन-देन के मार्ग का पता चलेगा।
क्रिप्टो वॉलेट की स्थिति: फ्रीज़ किए गए क्रिप्टो को एक्सचेंज/पर्स प्रोवाइडर्स के जरिए ब्लॉक कर दिया गया होगा; आगे का उपयोग/हस्तांतरण तभी संभव होगा जब अदालत/अधिकार वाले आदेश द्वारा अनुमति मिले या ADJUDICATING AUTHORITY का निर्णय आए।
अस्थायी कुर्की (Provisional attachment): PMLA के तहत ED अस्थायी कुर्की लगाती है—फिर ऑडिट/प्रोसीडिंग के बाद यह कुर्की स्थायी भी हो सकती है यदि अदालत/अधिकार क्षेत्र ऐसा निर्देश दे।
आरोप-पत्र/चार्जशीट: जांच पूरी होने पर ED कोर्ट में आवश्यक दस्तावेज़ दाखिल करेगा; यदि पर्याप्त साक्ष्य मिले तो आरोपियों के खिलाफ PMLA के तहत अभियोजन संबंधी सुनवाई शुरू होगी।
नोट: यहाँ दी गई कानूनी प्रक्रिया का उद्देश्य घटना-व्यवस्था बताना है—किसी भी आरोपी को दोषी तब तक नहीं माना जाएगा जब तक अदालत दोषसिद्धि न करे।
इस मामले का क्या निहितार्थ हो सकते हैं?
जमीन-घोटालों में डिजिटल व क्रिप्टो का उपयोग: क्रिप्टो-एसेट्स की बरामदगी से संकेत मिलता है कि पारंपरिक संपत्ति-घोटाले अब डिजिटल-लेनदेन के ज़रिये भी हाइड्रेड/कम्प्लेक्स हो रहे हैं।
स्थानीय जमीन के मूल्य और निवेशकों की सुरक्षा: प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्रों में जमीनों के ज़ालिम सौदों से स्थानीय संपत्ति बाजार और निकटस्थ निवासियों/छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
विस्तृत नेटवर्क की सम्भावना: एमओयू, लीज़ और डिजिटल रिकॉर्ड आमतौर पर कई दलों—सलाहकारों, मध्यस्थों, खरीदारों—को जोड़ते हैं; इसलिए और गिरफ्तारी/अटैचमेंट की संभावनाएँ स्पष्ट हैं।
ED ने 10 अक्टूबर की बाहर की गई छापेमारी और मुंबई रीजनल ऑफिस की संपत्ति अटैचमेंट के माध्यम से यह संकेत दिया है कि पिछले कुछ वर्षों से चल रहे कुछ जमीन-घोटालों की जाँच अब तीव्र रूप से आगे बढ़ रही है। जांच जारी है और एजेंसी ने बताया है कि अभी और सुबूतों व लोगों तक पहुँचने के लिए काम चल रहा है — आने वाले दिनों में ही विस्तृत साक्ष्यों के आधार पर नेटवर्क का पूरा नक्शा सामने आ सकता है।