Monday, August 18, 2025
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ईडी ने टाइगर ग्रुप के नेता अंकित राज की संपत्तियाँ जब्त कीं; PMLA के तहत जांच तेज — अवैध बालू खनन और रंगदारी के गंभीर आरोप

रांची, — झारखंड में सक्रिय कथित उग्रवादी-आधारित आर्थिक गिरोह ‘झारखंड टाइगर ग्रुप’ की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED), रांची जोनल टीम ने बड़े कदम उठाते हुए समूह से जुड़े नेताओं में से एक अंकित राज की चल-अचल संपत्तियाँ जब्त कर ली हैं। अधिकारी सूत्रों के मुताबिक प्रारम्भिक आकलन के अनुसार जब्त की गई सम्पत्तियाँ करीब ₹3.2 करोड़ मूल्य की हैं, जबकि मामले में अब तक कुल मिलाकर लगभग ₹3.4 करोड़ की संपत्तियाँ फ्रीज/अटैच की जा चुकी हैं। कार्रवाई पैनल-मनी लॉ (PMLA) के तहत की गई है और जांच अभी भी जारी है।

कौन-क्या आरोप है — 16 FIR और मुख्य अनियमितताएँ

ED ने अपनी कार्रवाई झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज कुल 16 FIRs के आधार पर शुरू की थी। इन FIR में अंकित राज पर गंभीर आरोप शामिल हैं — रंगदारी व धमकियाँ, अवैध बालू खनन, सरकारी काम में बाधा डालना और ‘झारखंड टाइगर ग्रुप’ नाम के उग्रवादी/गिरोह का संचालन। पुलिस और खनन रिकॉर्ड के सहारे ED की वित्तीय जांच का दायरा बढ़ा और अब यह मामला धन के अवैध प्रवाह (money-laundering) एवं अवैध कमाई के नेटवर्क तक पहुँचने की दिशा में मोड़ा गया है।

छापेमारी और साक्ष्य-संग्रह — कब और कहाँ

ED ने मामले में कई ठिकानों पर छापेमारी की— अधिकारियों ने बताया कि समूह व उससे जुड़े पते 12–13 मार्च 2024 एवं 4 जुलाई 2025 को तलाशी के दायरे में रहे। इसके अतिरिक्त 18 जुलाई को हज़ारीबाग जिला खनन कार्यालय पर सर्वे कर दस्तावेज़ व रिकॉर्ड जुटाए गए। खनन विभाग के डिजिटल रेकॉर्ड, ट्रांज़ैक्शन लॉग और गवाहों के बयानों से जांचकर्ताओं को महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं।

modus operandi — कैसे चलती थी व्यवस्था

जांच में पाया गया है कि अंकित राज का गिरोह 2019 में वैध खनन लाइसेंस खत्म होने के बाद भी हाहारो, प्लांडू और दामोदर नदियों से अवैध रूप से बालू निकालता रहा। इसकी कार्यपद्धति कड़ियों में विभक्त और सुनियोजित थी — अवैध उत्खनन, स्टोरेज (स्टॉकिंग), ट्रांसपोर्टेशन और बिक्री के कई चरण। इस बहु-स्तरीय व्यवस्था के कारण गतिविधियों का नक़्शा छुपाना और सरकारी निगरानी से बचना सम्भव हो पाया, जबकि मोटा मुनाफ़ा कमाया गया।

वित्तीय नक्शा और कदम आगे क्या होंगे

ED के अधिकारियों ने बताया है कि अब वे वित्तीय प्रवाह (bank transfers, cash movements), शेल कम्पनियों के कनेक्शन और अवैध आय के स्रोतों का पता लगा रहे हैं। PMLA के तहत संपत्तियों की फ्रीजिंग, अटैचमेंट और बाद में संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार कन्फ़िस्केशन तक की संभावनाएँ रहती हैं। मामले में और खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि जांच धीरे-धीरे नेटवर्क के उच्च स्तर तक पहुँचने की कोशिश कर रही है।

पर्यावरणीय और लोक-हित प्रभाव का संदर्भ

अवैध बालू खनन के चलते नदी घाटों का विनाश, जल-स्तर व पारिस्थितिकी पर नकारात्मक असर और स्थानीय समुदायों की भूमि व आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। अधिकारियों का मानना है कि न सिर्फ़ कानून लागू हुआ है बल्कि ऐसे अपराधों के समग्र पर्यावरणीय व सामाजिक लागत का भी परीक्षण आवश्यक है।

अधिकारी क्या कह रहे हैं — सहयोग और आगे की कार्रवाई

ED और खनन विभाग के बीच समन्वय बढ़ाया गया है — सरकारी अधिकारी गवाहों के बयानों, खनन-लाइसेंस रिकॉर्ड और डिजिटल दस्तावेजों का न्यायालयीय तरीके से परीक्षण कर रहे हैं। फिलहाल मामले में और गिरफ्तारियों, अतिरिक्त जब्ती या संपत्ति अटैचमेंट की कारवाई की संभावना बनी हुई है। जांच का फोरेंसिक हिस्सा—डिजिटल फ़ाइनेंसियल ऑडिट और ट्रांजेक्शन-ट्रेल—अगले चरणों में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

निष्कर्ष: झारखंड में टाइगर ग्रुप से जुड़ी यह कार्रवाई उस दिशा में एक बड़ा संकेत है कि सरकारी एजेंसियाँ अवैध खनन-आधारित आर्थिक नेटवर्क और उनसे जुड़े धन-लाइनों पर कठोर रुख अपना रही हैं। PMLA के दायरे में चल रही यह जाँच आगे न सिर्फ़ अभियोज्य साक्ष्य उपलब्ध कराएगी बल्कि क्षेत्रीय अवैध खनन व उसके वित्तीय तंत्र पर प्रभावी रोक के लिए नीतिगत सावल भी उठा सकती है।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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