प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुंबई के चर्चित रियल एस्टेट घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए साई ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के प्रमोटर विनोद टन्ना और उनकी पत्नी की इंग्लैंड स्थित संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। यह संपत्ति फ्लैट खरीदारों और निवेशकों से धोखाधड़ी से वसूली गई रकम से खरीदी गई थी।
ठगी की रकम से विदेश में खरीदी संपत्ति
ईडी की जांच में सामने आया है कि यह संपत्ति 2017 में जयेश टन्ना द्वारा खरीदी गई थी। संपत्ति की कीमत लगभग GBP 2.07 लाख यानी करीब ₹2 करोड़ रुपये है। यह रकम मुंबई में कई रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के नाम पर लोगों से वसूली गई और फिर विदेश भेजकर लंदन में जमीन और इमारत के रूप में निवेश किया गया।
मुंबई पुलिस की FIR के आधार पर जांच शुरू
ईडी ने यह जांच 2024 में शुरू की थी, जब मुंबई पुलिस ने जयेश टन्ना, दीप टन्ना और साई ग्रुप के अन्य सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात और अन्य संगीन धाराओं में कई एफआईआर दर्ज की थीं। पुलिस ने इनमें से अधिकांश मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
₹85.75 करोड़ की ठगी, अब तक ₹35.65 करोड़ की संपत्ति जब्त
ईडी के अनुसार, साई ग्रुप के प्रमोटर्स ने डी.एन. नगर, अंधेरी, कांदिवली और गोरेगांव जैसे मुंबई के इलाकों में रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का झांसा देकर लोगों से पैसा वसूला, लेकिन न तो प्रोजेक्ट पूरे किए और न ही खरीदारों को उनके घर या दुकानें दीं। इस धोखाधड़ी से निवेशकों को लगभग ₹85.75 करोड़ का नुकसान हुआ है।
अब तक इस केस में कुल ₹35.65 करोड़ की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं। ईडी ने स्पष्ट किया है कि जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं।
रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा घोटाला
यह मामला मुंबई के रियल एस्टेट क्षेत्र में संगठित आर्थिक अपराध का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी सख्त कार्रवाइयों से सफेदपोश अपराधियों पर नकेल कसने और बिल्डर लॉबी की मनमानी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।