
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच, 71 पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए नए कानून की मांग की है।
पत्र में, डॉक्टरों ने कोलकाता में हुई घटना को लेकर गहरी चिंता और पीड़ा जताई और प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा को हिला देते हैं और महिलाओं, लड़कियों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
डॉक्टरों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की मांग की:
- मौजूदा कानूनों का सख्ती से लागू करना: स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानूनी ढांचे को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
- यौन हिंसा के अपराधियों के लिए कठोर और समयबद्ध सजा: ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर और त्वरित दंड की मांग की गई है।
- अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा उपाय: चिकित्सा कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को बेहतर बनाने का आग्रह किया गया है।
- स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून का अधिनियमन: एक अलग कानून बनाने की मांग की गई है जो स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके।
- स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा के लिए कठोरतम सजा: प्रस्तावित अध्यादेश या विधेयक को सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा के मामलों में सबसे कठोर सजा दी जाए और इन अपराधों को गैर-जमानती श्रेणी में रखा जाए।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि “डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक” 2019 से तैयार है, लेकिन अभी तक संसद में पेश नहीं किया गया है। डॉक्टरों का मानना है कि इस आशय का एक अध्यादेश तुरंत लाया जाना चाहिए और विधेयक को जल्द पारित किया जाना चाहिए ताकि चिकित्सा पेशेवर बिना डर के अपने कार्यों को अंजाम दे सकें।
यह पत्र और इसके अनुरोध स्पष्ट रूप से इस बात पर जोर देते हैं कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है।