Saturday, September 13, 2025
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SCO समिट (तिआनजिन) — दूसरे दिन: मोदी, पुतिन और जिनपिंग के बीच त्रिकोणीय मुलाकात; द्विपक्षीय वार्ता पर नजरें

तिआनजिन (खास रिपोर्ट): चीन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन है, जिसमें दुनिया के कई बड़े राजनयिक चेहरे एक ही मंच पर मौजूद हैं। इस साल का समिट तिआनजिन में आयोजित हुआ है और इसमें 20 से ज़्यादा देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं।

समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक साथ दुनिया-विख्यात तस्वीर और गर्मजोशी भरी मुलाकात सुर्खियों में रही। तीनों नेताओं के बीच निजी बातचीत और आत्मीय मुठभेड़ की तस्वीरें मीडिया व सोशल मीडिया पर तेजी से साझा की जा रही हैं।

सूत्रों के अनुसार समिट के सत्रों और पार्श्व कार्यक्रमों के बाद सुपुर्दगी स्तर पर सुबह ही प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच एक द्विपक्षीय वार्ता भी निर्धारित है। दोनों नेता द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मसलों पर विचार-विमर्श करेंगे।

वार्ता की पृष्ठभूमि — व्यापार और सुरक्षा तनाव:
यह बैठक वैश्विक कूटनीतिक परिदृश्य में विशेष महत्त्व रखती है क्योंकि हालिया दिनों में अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और रूस-यूरोप मध्य युद्ध की जटिलताएँ उभर कर आई हैं। पश्चिमी पाबंदियों व व्यापार-नैतिकताओं के मद्देनजर रूस के साथ ऊर्जा-लेनदेन और उससे उत्पन्न व्यापारिक परिणाम इस बैठक के एजेंडे पर प्रमुखता से रहने की सम्भावना है। इसी संदर्भ में अमेरिका द्वारा कुछ व्यापारिक कदमों और टैरिफ्स ने क्षेत्रीय आर्थिक समीकरणों को प्रभावित किया है — यही विषय शिखर सम्मेलन के बहस-खाके में भी बार-बार उभर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के संदेश और सार्वजनिक उपस्थिति:
प्रधानमंत्री मोदी ने नेताओं के साथ अपने और पारस्परिक संवाद की कुछ फोटो और संदेश सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर साझा किए, जिसमें उन्होंने तिआनजिन में जारी चर्चाओं और विचार-विनिमय का हवाला दिया। उनकी टीम ने कहा है कि भारत SCO के तहत सहयोग बढ़ाने और सामूहिक चुनौतियों का हल खोजने के लिए प्रतिबद्ध है।

राजनीतिक और कूटनीतिक मायने:
तीनों महाशक्तियों — भारत, रूस और चीन — के नेताओं का एक ही मंच पर दिखना वैश्विक स्तर पर एक प्रतीकात्मक संदेश भी देता है: बड़े बहुपक्षीय फोरम के द्वारा नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं और आर्थिक विकल्पों पर चर्चा का अवसर मिल रहा है। वहीं, पश्चिमी दबावों — जिनमें ट्रेड टैरिफ व आर्थिक प्रतिबंध शामिल हैं — पर इन बैठकों से किसी संयुक्त रुख या वैकल्पिक आर्थिक नीतियों के संकेत मिलने की भी संभावना रहती है।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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