
पटना – बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ अब सख्त रुख अपना लिया है। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हड़ताली राजस्व कर्मचारियों द्वारा विभाग से आवंटित सभी लैपटॉप सोमवार शाम 5 बजे तक अनिवार्य रूप से जमा कराए जाएं। साथ ही, विभाग ने सेवानिवृत्त राजस्व कर्मियों को संविदा के आधार पर पुनर्नियुक्ति देने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक, जिलाधिकारियों को दिए तीन अहम निर्देश
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह और सचिव जय सिंह ने राजस्व कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देनज़र विभागीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सभी जिलाधिकारियों से ज़मीनी हालात की जानकारी ली और वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने तीन महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए:
- ऑनलाइन ट्रेनिंग की अनिवार्यता:
सोमवार को सभी अंचल अमीन और पंचायत सचिवों को ऑनलाइन मोड में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह ट्रेनिंग सुबह 11 बजे से शुरू होगी, जिसमें सभी संबंधित कर्मियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। - लैपटॉप की अनिवार्य वापसी:
सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि हड़ताली कर्मियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे विभागीय लैपटॉप सोमवार शाम 5 बजे तक वापस ले लिए जाएं। - सेवानिवृत्त कर्मियों की संविदा नियुक्ति:
सभी जिलाधिकारी अपने जिले में सेवानिवृत्त राजस्व कर्मियों की पहचान कर उन्हें संविदा पर बहाल करें। ऐसे कर्मचारी 27 मई से 31 मई के बीच अपने पहचान पत्र के साथ अपने जिले के अपर समाहर्ता कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
सरकार की अपील: हड़ताल खत्म कर करें वार्ता
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि विभाग हड़ताली कर्मियों की मांगों को लेकर संवेदनशील है, लेकिन जब तक वे काम पर नहीं लौटते, बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने अपील की कि कर्मचारी हड़ताल समाप्त कर अगले दिन वार्ता के लिए आएं, विभाग उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करेगा।
पृष्ठभूमि: क्यों चल रही है हड़ताल?
राजस्व कर्मचारी वेतन विसंगति, पदोन्नति, और नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे भूमि सर्वेक्षण, दाखिल-खारिज, म्यूटेशन, और भूमि रसीद वितरण जैसे जरूरी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अब विभाग ने कार्यों को पटरी पर लाने के लिए रिटायर्ड कर्मियों और वैकल्पिक उपायों पर भरोसा जताया है।
सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि वह प्रशासनिक कार्यों को ठप नहीं होने देगी। जहां एक ओर वह कर्मचारियों की मांगों को लेकर संवेदनशीलता दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर कर्तव्यपालन से मुंह मोड़ने वालों के प्रति सख्त रवैया भी अपना रही है।

VIKAS TRIPATHI
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