
Corruption in the Name of Facilities at Maihar Devi Dham: मैहर। मां शारदा देवी धाम, जो भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, आज सुविधा के नाम पर भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। जहां एक ओर भक्तों को बेहतर सुविधाएं देने की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर सुविधा अब एक बड़ा व्यवसाय बन चुकी है। यह व्यवसाय कैसे श्रद्धालुओं के लिए परेशानी और भ्रष्टाचार के लिए अवसर बन गया है, इसका उदाहरण देवी धाम में बने स्वस्तिक बिल्डिंग और दामोदर रोपवे की हालत से समझा जा सकता है।
स्वस्तिक बिल्डिंग: भ्रष्टाचार का प्रतीक
भक्तों के ठहरने और सुविधाओं के लिए देवी धाम में बांबे स्टाइल की स्वस्तिक बिल्डिंग बनाई गई थी। लेकिन यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। आज इस बिल्डिंग की हालत ऐसी है कि इसमें आवारा पशु डेरा जमाए हुए हैं और जगह-जगह से पानी टपकता है।
बिल्डिंग के अंदर बनी दुकानों को कौड़ियों के दाम में नीलाम कर दिया गया। सेटिंग-गेटिंग के खेल ने करोड़ों की संपत्ति को मामूली कीमत पर बेच दिया। यह न केवल भक्तों की सुविधाओं पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि मंदिर प्रशासन की नीयत पर भी गंभीर आरोप लगाता है।
दामोदर रोपवे: सुविधा या शोषण?
दामोदर रोपवे को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाया गया था, लेकिन यह सुविधा भी शोषण का माध्यम बन चुकी है।
- किराए में मनमानी बढ़ोतरी:
रोपवे ने अनुबंध में तय नियमों को ताक पर रखकर बार-बार किराए में मनमानी बढ़ोतरी की। गरीब और लालची मानसिकता वाले लोगों को खरीदकर नियमों का उल्लंघन किया गया। - अनुबंध के उल्लंघन:
अनुबंध में जिन सुविधाओं का वादा किया गया था, वे कभी पूरी नहीं की गईं। इसके विपरीत, समिति के सदस्यों ने अपनी जेबें भरने के लिए रोपवे को लूट का जरिया बना लिया। - कोरोना काल में भी लूट:
महामारी के समय जब जनता पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही थी, तब भी रोपवे ने किराए में अवैध बढ़ोतरी कर भ्रष्टाचार का परिचय दिया।
पूर्व मंदिर प्रशासक द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि रोपवे संचालन में आर्थिक अनियमितताओं की भरमार है। लेकिन सारे सबूत होने के बावजूद नोटो की गर्मी के आगे सबकुछ ठंडा पड़ गया।
भक्तों के लिए सुविधाओं का अभाव
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इसी कड़ी में मैहर में भी भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिल रही है। लेकिन यहां व्यवस्थाओं का आलम यह है कि सुविधाओं के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं है।
- न ममता कॉर्नर, न वेटिंग हॉल:
पूरे देवी धाम में न तो कहीं ममता कॉर्नर है, न ही श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए वेटिंग हॉल। - पार्किंग व्यवस्था का अभाव:
वाहनों की बढ़ती संख्या के बावजूद उचित पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। - निःशुल्क सुविधाओं का अभाव:
निःशुल्क सेवाओं के नाम पर केवल कागजी दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर इनका कोई अस्तित्व नहीं है।
समिति के भस्मासुर और प्रशासन की लापरवाही
मंदिर समिति में मौजूद प्रभारी शैलेन्द्र बहादुर सिंह और चंद्रभूषण पटेल पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में व्यवस्थाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। ये दोनों समिति के ऐसे भस्मासुर बन चुके हैं, जो देवी धाम की व्यवस्था को धीरे-धीरे निगल रहे हैं।
समाप्ति नहीं, बल्कि शुरुआत
देवी धाम में फैला यह भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का खेल केवल यहां तक सीमित नहीं है। इसके खिलाफ कार्रवाई कब और कैसे होगी, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधाओं के नाम पर हो रही इस लूट को रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है। भक्तों की उम्मीदें तभी पूरी हो सकती हैं, जब भ्रष्टाचार के इस जाल को तोड़ा जाए और व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

VIKAS TRIPATHI
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