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कांग्रेस पार्टी ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 14 सितंबर, शनिवार को दावा किया कि SEBI प्रमुख ने न केवल SEBI के दौरान ₹36.9 करोड़ की सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार किया, बल्कि चीनी फंड्स में भी निवेश किया है। यह जानकारी समाचार पोर्टल CNBC TV-18 द्वारा दी गई है।
विपक्ष की यह नई चाल SEBI प्रमुख के खिलाफ पहले लगाए गए अनुचित व्यवहार के आरोपों के बाद आई है। कांग्रेस ने बुच के निवेश और व्यापार संबंधी गतिविधियों की जांच की मांग की है, जो उनके पद की नैतिकता और निष्पक्षता पर सवाल उठाती है।
इस मामले में अभी तक SEBI या माधबी पुरी बुच की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उभारने की योजना बना ली है। मामले को लेकर राजनीतिक माहौल गर्माने की संभावना है, और इस पर आगे की जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 2017 से 2023 के बीच, जब माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य और फिर चेयरपर्सन थीं, तब इन लेन-देन को अंजाम दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, खेड़ा ने इस अवधि के दौरान बुच पर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में ₹36.9 करोड़ के व्यापार और चीनी फंड्स में निवेश का आरोप लगाया। यह आरोप उनके SEBI में कार्यकाल के दौरान की गई गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है और कांग्रेस ने इस मुद्दे की जांच की मांग की है, ताकि उनकी स्थिति और नैतिकता की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
यह मामला SEBI प्रमुख पर लगे पिछले आरोपों की कड़ी में एक और आरोप के रूप में उभरा है, और अब इस पर राजनीतिक और सार्वजनिक स्तर पर बहस होने की संभावना है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच द्वारा किए गए लेन-देन SEBI के 2008 के बोर्ड के सदस्यों के हितों के टकराव पर संहिता के तहत सेक्शन 6 का उल्लंघन हैं। खेड़ा ने पूछा, “हम जानना चाहते हैं कि बुच ने इन संपत्तियों के बारे में पहली बार कब और किस सरकारी एजेंसी को जानकारी दी थी। उन्होंने अपने विदेशी संपत्तियों की घोषणा कब की और इसे किस सरकारी एजेंसी को सूचित किया गया?”
रिपोर्ट के अनुसार, खेड़ा ने Global X MSCI China Consumer (CHIQ) और Invesco China Technology ETF (CQQQ) नाम के दो चीनी फंड्स का नाम लिया, जिनमें बुच पर कथित तौर पर निवेश करने का आरोप है। कुल मिलाकर चार चीनी फंड्स में उनके निवेश की बात कही जा रही है।
कांग्रेस का यह कदम SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच द्वारा एक दिन पहले जारी किए गए विस्तृत बयान के बाद आया है। इस बयान में उन्होंने उन आरोपों पर जवाब दिया था जो उनके खिलाफ लगाए गए थे। आरोपों में बुच के पति द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद की गई कंसल्टिंग असाइनमेंट्स से लेकर, Agora Advisory नामक उनकी कंपनी, जिसमें बुच का कथित तौर पर 99% स्वामित्व है, द्वारा महिंद्रा ग्रुप, पिडिलाइट और डॉ. रेड्डीज लैब्स जैसी सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान प्राप्त करने तक शामिल हैं।
आरोपों में यह भी कहा गया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने वॉकहार्ट से संबंधित एक कंपनी से किराये की आय प्राप्त की, और यह सवाल उठाए गए कि उन्होंने ICICI बैंक से, कंपनी छोड़ने के कई साल बाद भी, भुगतान क्यों और कैसे प्राप्त किए।
यह रिपोर्ट उन गंभीर आरोपों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें हितों के टकराव, विदेशी फंडों में निवेश, और सूचीबद्ध कंपनियों से संदिग्ध लेन-देन का मुद्दा उठाया गया है। कांग्रेस ने इन मामलों की जांच की मांग करते हुए यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि SEBI प्रमुख के कार्यकाल के दौरान कोई अनुचित व्यवहार या वित्तीय अनियमितता न हो।
माधबी पुरी बुच और उनके पति ने एक संयुक्त बयान में इन आरोपों को “झूठे, गलत, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित” बताया। उन्होंने विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह झूठे आरोपों को “किस्तों” में लगाकर मुद्दे को “उबालते” रखने की कोशिश कर रही है। यह बयान उस रिपोर्ट के संदर्भ में आया जिसमें कांग्रेस ने बुच के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “हम यह सवाल उठा रहे हैं कि आपने झूठ क्यों बोला जब आपने कहा कि Agora एक निष्क्रिय कंपनी थी, जबकि यह सक्रिय रूप से कंसल्टेंसी कर रही थी। दूसरा झूठ यह था कि माधबी बुच ने यह दावा किया कि उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी संपत्ति वॉकहार्ट से संबंधित किसी व्यक्ति को किराये पर दी गई थी।”
यह विवाद SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के कार्यकाल और उनके वित्तीय लेन-देन पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है, जिससे राजनीतिक और सार्वजनिक बहस छिड़ी हुई है। विपक्ष ने इन आरोपों को लेकर जांच की मांग जारी रखी है, जबकि बुच और उनके पति ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
कांग्रेस ने SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से तीन सवाल पूछे हैं, जैसा कि कांग्रेस के महासचिव (संचार प्रमुख) जयराम रमेश के प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट में बताया गया है।
ये तीन सवाल हैं:
- Agora Advisory की स्थिति: कांग्रेस ने पूछा कि अगर Agora कंपनी निष्क्रिय थी, जैसा कि बुच ने दावा किया था, तो यह कंसल्टेंसी सेवाएं कैसे प्रदान कर रही थी और इसे सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान कैसे मिल रहा था?
- वॉकहार्ट से संबंधित किराये का सौदा: उन्होंने यह सवाल उठाया कि बुच ने दावा किया कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी संपत्ति वॉकहार्ट से संबंधित किसी व्यक्ति को किराये पर दी गई थी। कांग्रेस ने इस पर सफाई मांगी है।
- ICICI बैंक से भुगतान: कांग्रेस ने पूछा कि ICICI बैंक छोड़ने के कई साल बाद भी बुच को भुगतान क्यों प्राप्त हो रहे थे, और इस संदिग्ध लेन-देन की स्थिति क्या है?
जयराम रमेश के अनुसार, कांग्रेस ने इन तीन सवालों पर पारदर्शी और स्पष्ट जवाब मांगे हैं, ताकि SEBI प्रमुख के कार्यों पर उठे संदेह को दूर किया जा सके।
कांग्रेस ने SEBI प्रमुख द्वारा दिए गए स्पष्टीकरणों, और ICICI बैंक, महिंद्रा ग्रुप, पिडिलाइट आदि कंपनियों के द्वारा जारी बयान को खारिज कर दिया है। इन कंपनियों ने कांग्रेस के पहले के आरोपों का जवाब देने के लिए बयान जारी किए थे, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि ये स्पष्टीकरण अपर्याप्त हैं।
कांग्रेस का यह भी कहना है कि इन कंपनियों द्वारा बुच या उनसे जुड़ी संस्थाओं को किए गए भुगतान SEBI के बोर्ड के सदस्यों के हितों के टकराव पर संहिता (2008) का उल्लंघन हैं। कांग्रेस ने इन वित्तीय लेन-देन और निवेश पर गंभीर सवाल उठाते हुए इस मामले की पूरी जांच की मांग की है।
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VIKAS TRIPATHI
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