नई दिल्ली: मेडिकल और फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने में हुए भ्रष्टाचार के गंभीर मामले पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है। पार्टी ने CBI की एफआईआर का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि “मोदी सरकार की ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ वाली नीति अब ‘खाऊंगा भी, खिलवाऊंगा भी’ में बदल चुकी है।”
‘जेपी नड्डा पर क्यों नहीं दर्ज हुई एफआईआर?’
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. ओनिका मेहरोत्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि जेपी नड्डा की मौजूदगी में उनके मंत्रालय में इतने बड़े पैमाने पर घोटाले कैसे हुए? क्या नड्डा को उनकी ‘नाक के नीचे’ चल रही करोड़ों की रिश्वतखोरी की भनक भी नहीं लगी? उन्होंने सवाल उठाया:
“जब CBI की एफआईआर में कई नाम शामिल हैं, तो जेपी नड्डा का नाम क्यों नहीं है? क्या प्रधानमंत्री अब उनसे स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष पद से तत्काल इस्तीफा मांगेंगे?”
40 से अधिक कॉलेजों को फर्जी मान्यता का आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) के तहत देशभर में 40 से अधिक मेडिकल कॉलेजों को फर्जी दस्तावेज़, रिश्वत और फिंगरप्रिंट क्लोनिंग जैसी धोखाधड़ी से मान्यता दी गई।
विशेष रूप से इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, गुजरात के स्वामीनारायण मेडिकल कॉलेज, बिहार के श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज और मेरठ के NCR मेडिकल कॉलेज को योग्यता और इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव के बावजूद मान्यता दी गई।
डॉ. जीतू लाल मीना का नाम और मोदी से संबंध
CBI के मुताबिक, इस घोटाले की जड़ में डॉ. जीतू लाल मीना का नाम सामने आया है, जो NMC के मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड में पूर्णकालिक सदस्य थे। कांग्रेस का दावा है कि डॉ. मीना का तेजी से हुआ प्रमोशन प्रधानमंत्री मोदी के करीबी संबंधों की वजह से ही संभव हुआ।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया में भी घोटाले के आरोप
कांग्रेस ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) में भी भ्रष्टाचार के संगठित रैकेट का आरोप लगाया।
PCI अध्यक्ष डॉ. मोंटू पटेल पर कॉलेजों को रिश्वत लेकर मान्यता देने का आरोप है।
CBI के अनुसार, डॉ. पटेल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के 23 कॉलेजों को बिना जरूरी सुविधाओं और स्टाफ के मंजूरी दी गई।
इतना ही नहीं, ऑनलाइन निरीक्षण प्रक्रिया अपनाई गई, जो केवल 7 से 9 मिनट तक चलती थी—जिसे कांग्रेस ने ‘घोटाले को आसान बनाने वाली योजना’ करार दिया।
कांग्रेस के तीखे सवाल:
क्या इतने बड़े घोटाले बिना शीर्ष नेतृत्व की जानकारी और स्वीकृति के संभव हैं?
मंत्रालय को बिना बताए ऑनलाइन निरीक्षण प्रक्रिया कैसे लागू हो गई?
क्या सीबीआई एफआईआर में जेपी नड्डा का नाम जोड़ा जाएगा?
क्या प्रधानमंत्री मोदी नड्डा का इस्तीफा मांगेंगे या चुप रहेंगे?
कांग्रेस के इन आरोपों ने भाजपा की “भ्रष्टाचार विरोधी छवि” पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल प्रशासनिक विफलता का नहीं, बल्कि राजनीतिक जवाबदेही का भी बन चुका है। अब निगाहें प्रधानमंत्री मोदी पर टिकी हैं कि क्या वह अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेता के खिलाफ वैसा ही रुख अपनाएंगे, जैसा वह विपक्ष के मामलों में दिखाते हैं।