Wednesday, July 30, 2025
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“न्याय की मर्यादा का संकल्प: CJI बीआर गवई का बड़ा ऐलान—रिटायरमेंट के बाद नहीं लेंगे कोई शासकीय पद”

दारापुर (महाराष्ट्र): भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने न्यायपालिका की गरिमा को नई ऊंचाई देते हुए एक साहसिक और प्रेरणादायक घोषणा की है। शुक्रवार को अपने पैतृक गांव दारापुर (अमरावती) में पहुंचे CJI गवई ने स्पष्ट किया कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई भी शासकीय लाभ का पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सेवा निवृत्ति के बाद वे अपना अधिकतर समय दारापुर, अमरावती और नागपुर में बिताना चाहेंगे।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब न्यायपालिका की निष्पक्षता को लेकर अक्सर प्रश्न उठते हैं—कि क्या सेवानिवृत्त जजों को सत्ता से दूरी बनाकर रखनी चाहिए? न्यायमूर्ति गवई का यह निर्णय एक नैतिक उदाहरण पेश करता है।

पैतृक गांव में भावुक स्वागत

मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद पहली बार जब गवई दारापुर पहुंचे, तो गांव में उत्सव जैसा माहौल था। ग्रामीणों ने तालियों और जयघोषों के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने अपने पिता स्व. आर. एस. गवई—केरल और बिहार के पूर्व राज्यपाल—की 10वीं पुण्यतिथि पर स्मारक स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की और श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

गांव पहुंचते ही CJI ने अपने बचपन के घर का दौरा किया और मिट्टी से जुड़ी यादों को भावुक होकर साझा किया। उन्होंने कहा,

“मेरा फैसला है कि मैं रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं लूंगा। मेरे लिए गांव की मिट्टी, अमरावती की ऊर्जा और नागपुर की यादें ही सबसे मूल्यवान होंगी।”

न्यायिक विरासत को समर्पित—ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन

शनिवार को गवई अमरावती स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में स्थापित “टीआर गिल्डा मेमोरियल ई-लाइब्रेरी” का उद्घाटन करेंगे। 380 वर्ग फुट में बनी यह आधुनिक सुविधा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष, वकीलों के लिए लाउंज, और SC, HC तथा लॉ जर्नल्स की ऑनलाइन सदस्यताओं से सुसज्जित होगी।

इस अवसर पर बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे, नागपुर पीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश अनिल किलोर, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे, और अन्य न्यायमूर्ति भी मौजूद रहेंगे। यह आयोजन अमरावती जिला बार एसोसिएशन द्वारा किया जा रहा है।

न्याय और नैतिकता का संगम

इससे पहले जून में गवई ने सार्वजनिक मंच पर कहा था—“सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सरकारी पद स्वीकार करना न्यायिक नैतिकता के लिए संकट पैदा करता है। इससे यह आभास भी बन सकता है कि कुछ फैसले राजनीतिक या निजी लाभ की आशंका से प्रभावित थे।”

CJI गवई का यह रुख न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को पुष्ट करता है, बल्कि आने वाले समय के लिए एक आदर्श नैतिक मानक भी स्थापित करता है।

RS गवई गेट और न्यायालय भवन की आधारशिला भी रखी

CJI गवई ने दारापुर के प्रवेश द्वार पर बनने वाले “आर.एस. गवई स्मृति द्वार” की आधारशिला भी रखी। इसके साथ ही वे दरियापुर कस्बे में एक नया न्यायालय भवन भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

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