
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भागलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बड़ा बयान देते हुए कहा कि वह 21वीं सदी के पढ़े-लिखे युवा हैं और जात-पात और सांप्रदायिकता की राजनीति में विश्वास नहीं रखते।
चिराग ने कहा:
“हमारे राज्य को जातीयता और सांप्रदायिकता की सोच रखने वाले नेताओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। जब बिहार के 13 करोड़ लोगों की समस्याओं की बात होती है, तो केवल एक जाति या धर्म पर ही चर्चा क्यों होती है?”
‘एमवाई’ का नया फॉर्मूला: महिला और युवा
चिराग पासवान ने पारंपरिक एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को एक नया अर्थ देते हुए कहा,
“मेरे एमवाई का मतलब है महिला और युवा। मैंने पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें चार युवा और दो महिलाएं उम्मीदवार थीं। यह मेरा एमवाई समीकरण है, जिसमें सभी जाति और धर्म की महिलाएं और युवा शामिल हैं।”
उन्होंने इसे समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
जाति से ऊपर उठकर विकास की बात
चिराग ने कहा,
“मेरे प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि महिला, युवा, किसान और गरीबी भी एक जाति है। अब वक्त आ गया है कि हम जात-पात से ऊपर उठकर समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलें। बिहार को जातीयता और सांप्रदायिकता से बहुत नुकसान हुआ है, अब हमें समावेशी विकास की ओर बढ़ना चाहिए।”
‘यह कोई फॉर्मूला नहीं, मेरी सोच है’
जब चिराग से पूछा गया कि क्या उनका यह नया एमवाई समीकरण 2025 के बिहार चुनाव में हिट फॉर्मूला बन सकता है, तो उन्होंने कहा:
“यह मेरे लिए कोई राजनीतिक फॉर्मूला नहीं है, यह मेरी सोच है। मैं ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की बात करता हूं। किसी एक जाति या धर्म को प्राथमिकता देना मेरी सोच नहीं है। मुझे नहीं पता कि इसका राजनीतिक लाभ होगा या नहीं, लेकिन मैं इसे पूरी ईमानदारी से जीता हूं।”
NDA की चुनावी रणनीति का हिस्सा?
चिराग पासवान के इस बयान को आगामी बिहार चुनाव में एनडीए की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत सोच है, न कि किसी गठबंधन का नारा।