Thursday, October 30, 2025
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दिल्ली हाई कोर्ट में वायरल टीवी-वीडियो पर टिप्पणी हटाने की याचिका, सिर्फ अपमानजनक सीधे संदर्भों पर रोक — सुनवाई गुरुवार को निर्णय के लिए टली

नई दिल्ली, मंगलवार: भाजपा प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने एक टीवी डिबेट शो के दौरान उनके बारे में सोशल मीडिया पर फैलाये गए आपत्तिजनक पोस्ट हटाने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। जस्टिस अमित बंसल ने मामले की सुनवाई की और कहा कि अदालत उस सामग्री की जांच करेगी; इस पर आदेश गुरुवार को आएगा। अदालत ने साफ किया कि निजी अंगों का प्रत्यक्ष उल्लेख करने वाली अपमानजनक सामग्री पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन घटना से जुड़ी व्यंग्यात्मक या हँसी-मज़ाक वाली सामग्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।

मामले का संक्षेप

गौरव भाटिया इस महीने की शुरुआत में एक निजी समाचार चैनल के डिबेट शो में दिखाई दिए थे। शो के परिचय के दौरान उनका एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वे केवल कुर्ता (या वादियों के अनुसार शॉर्ट्स) में दिखाई दिये — कुछ लोग इसे आपत्तिजनक तरीके से लेकर टिप्पणियाँ कर रहे हैं। भाटिया का दावा है कि उस क्लिप से उनकी निजता और प्रतिष्ठा का उल्लंघन हुआ और कई पोस्ट देने वालों ने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।

भाटिया ने मानहानि व हटाने की याचिका में कई लोगों और संगठनों को प्रतिवादी बनाया है — जिनमें समाजवादी पार्टी का मीडिया सेल, आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज और कांग्रेस की रागिनी नायक समेत ऐसे कई लोग शामिल हैं जिनके खिलाफ विवादित पोस्ट किए गए थे।

वकील-दलीलें और अदालत की प्रतिक्रिया

भाटिया खुद अदालत में पेश हुए और कहा कि सोशल मीडिया पर उनके बारे में ‘नंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनके अधिवक्ता राघव अवस्थी ने दलील दी कि वे शॉर्ट्स पहने थे और कैमरा-एंगल की गलती से उनका निचला हिस्सा दिख गया — इस तथ्य का उपयोग कर अपमानजनक पोस्ट बनाकर प्रसारित किया गया। भाटिया ने कहा, “प्रतिष्ठा दशकों में बनती है” और उसे अनावश्यक नुकसान से बचाया जाना चाहिए।

गूगल की ओर से पेश अधिवक्ता ममता रानी झा ने अदालत से कहा कि जिन लिंक्स को हटाने की मांग की गई है, वे घटना से सीधे संबंधित नहीं हैं और कुछ प्रतिवादी समाचार प्रकाशन भी हैं।

जस्टिस अमित बंसल ने सुनवाई के दौरान संवेदनशीलता पर ज़ोर देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में निषेधाज्ञा जारी करते समय अदालतें बेहद सतर्क रहती हैं और एकपक्षीय रोक पर सावधानी बरती जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक जीवन में होने के नाते सार्वजनिक हस्तियों को कभी-कभी ‘मोटी त्वचा’ रखनी पड़ती है — फिर भी अदालत निजी अपमान और निजता के उल्लंघन के मामलों को अलग तरीके से देखेगी।

अदालत का रुख और आगे की कार्यवाही

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पोस्ट स्पष्ट रूप से निजी अंगों का ज़िक्र कर अपमानित करती है तो उस पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन सामान्य रूप से घटना से जुड़ी व्यंग्यात्मक टिप्पणी या मीम-आधारित सामग्री पर व्यापक प्रतिबंध लगाने का इरादा नहीं दिखाया गया। मामले की अगली सुनवाई और आदेश शुक्रवार (गुरुवार को दिए जाने का उल्लेख अदालत ने किया) के लिए तय किया गया है — अदालत ने कहा है कि वह सामग्री की प्रमाणिकता और उसके प्रसार-परिप्रेक्ष्य की व्यापक जांच करेगी।

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