चंडीगढ़ — हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी IPS वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद मामला तीव्र गति पकड़ गया है। उनके परिवार — विशेषकर पत्नी IAS अमनीत पी. कुमार — की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर ली है। चंडीगढ़ SSP ने भी FIR दर्ज होने की पुष्टि की है। शिकायत में हरियाणा DGP शत्रुजीत कपूर सहित कुल 10 अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैं। आरोप है कि इन्हीं अधिकारियों के दमन और मानसिक प्रताड़ना के कारण वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या की।
क्या आरोप है
अमनीत पी. कुमार ने पुलिस को दी अपनी शिकायती शिकायत में दावा किया है कि उनके पति को पिछले वर्षों से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित व अपमानित किया जाता रहा, और यह कार्रवाई सुनियोजित थी। शिकायत के आधार पर चंडीगढ़ पुलिस ने “आत्महत्या के लिए उकसाने” और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। FIR में जिन अधिकारियों के नाम आए हैं, उनके विरुद्ध जांच की शुरुआत कर दी गई है।
घटना की पृष्ठभूमि
2001 बैच के IPS वाई पूरन कुमार हाल में रोहतक रेंज के महानिरीक्षक (IG) पद पर तैनात थे; उन्हें हाल ही में सु्नारिया में तैनाती (ट्रांसफर) किया गया था। वे अपने सेक्टर-11 स्थित आवास के बेसमेंट के कमरे में मृत पाए गए — उन पर गोली चलाने से हुई थी। वारदात के समय उनकी पत्नी IAS अमनीत पी. कुमार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे पर थीं; घटना का पता चलने के बाद वे जापान से लौटकर चंडीगढ़ पहुंचीं और तत्काल प्राथमिकी दर्ज करवाई।
सुसाइड नोट और आरोप
सूत्रों के अनुसार, वाई पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लिखे थे और कहा कि उन्हें लगातार मानसिक उत्पीड़न व अपमान का सामना करना पड़ा। पत्नी ने पुलिस को लिखित में बताया है — “मेरे पति एक बेदाग छवि वाले, ईमानदार और संवेदनशील सार्वजनिक अधिकारी थे। उनकी मौत ताकतवर लोगों के व्यवस्थित दुरव्यवहार का परिणाम है। हमारे बच्चों को न्याय चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई साधारण आत्महत्या का मामला नहीं है बल्कि “उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा व्यवस्थित उत्पीड़न” के कारण यह कदम उठाना पड़ा।
सियासी और प्रशासनिक हलचल
FIR दर्ज होने के बाद हरियाणा सरकार सतर्क हो गई है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 1993 बैच के IPS आलोक मित्तल को अपने आवास पर तलब किया है। बताया जा रहा है कि DGP शत्रुजीत कपूर की कमान खतरे में है और उन्हें हटाकर आलोक मित्तल को हरियाणा पुलिस का प्रभार सौंपा जा सकता है — हालांकि इस पर अभी प्रशासनिक पुष्टि शेष है।
आगे क्या होगा
चंडीगढ़ पुलिस ने जांच शुरू कर दी है; आरोपियों के बयान, सुसाइड नोट की फोरेंसिक पड़ताल और अन्य कागजी तथा डिजिटल सबूतों की तफ्तीश की संभावना है। न्याय प्रक्रिया के तहत मामले की निष्पक्ष और तेज जांच की मांग उठी है, जबकि परिवार ने भी जवाब माँगा है और सही जांच की अपील की है।
यह घटना न केवल एक अधिकारी की दुखद मृत्यु है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही, उच्च अधिकारियों के व्यवहार और दलदल बने कार्यस्थलों पर भी सवाल उठाती है। अभी तक दर्ज FIR और शुरू हुई जांच ही घटनाक्रम की आधिकारिक पुष्टि है; आगे जो भी निष्कर्ष आएंगे वे जांच रिपोर्ट पर निर्भर होंगे।