
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं। इसी कारण, चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। चकबंदी आयुक्त जी. एस. नवीन कुमार ने बताया कि फतेहपुर जिले के ग्राम पाई निवासी रवीकरन सिंह के मामले की जांच के बाद कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इस घटना के बाद चकबंदी विभाग में व्यापक कार्रवाई की गई है ताकि विभाग में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो सके।
किसान ने की थी आत्महत्या
फतेहपुर जिले के पाई गांव के किसान रवीकरन सिंह उर्फ मक्खन सिंह (68) ने आत्महत्या कर ली थी। राजस्व कर्मियों द्वारा उनके खेत से चकरोड निकालने पर उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। चकबंदी न्यायालय में भी वाद उनके पक्ष में नहीं आया। समाधान दिवस में एसडीएम द्वारा डांटे जाने से आहत होकर किसान ने आत्महत्या कर ली थी। एसडीएम खागा अतुल कुमार ने आरोपों को निराधार बताया था।
प्रमुख कार्रवाई
- बीएन उपाध्याय: तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी, फतेहपुर (वर्तमान में जौनपुर) को निलंबित किया गया और उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
- संदीप कुमार: चकबंदी लेखपाल को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है।
- अनिल कुमार: सहायक चकबंदी अधिकारी, फतेहपुर और रवीन्द्रनाथ पाण्डेय, चकबंदी अधिकारी, फतेहपुर को भी निलंबित कर दिया गया है।
अन्य अधिकारी भी निलंबित
प्रतापगढ़ जिले के ग्राम दिवैनी में चकबंदी प्रक्रिया में लापरवाही के लिए कई अधिकारियों पर भी अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। इनमें राजेश त्रिपाठी, लाल बहादुर, राधेश्याम गुप्ता, नन्दलाल पटेल, शम्भू प्रसाद, और यादवेन्द्र कुमार पटेल शामिल हैं।