Saturday, September 13, 2025
Your Dream Technologies
HomePARDAFHAAS BREAKINGबेंगलुरु सेंट्रल मतदाता सूची विवाद — सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल, SIT व...

बेंगलुरु सेंट्रल मतदाता सूची विवाद — सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल, SIT व पारदर्शिता के कड़े नियमों की मांग

बेंगलुरु सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों को लेकर अधिवक्ता रोहित पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में सार्वजनिक हित याचिका (PIL) दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को की गई प्रेस कांफ्रेंस में उठाए गए सवालों के मद्देनजर स्वतंत्र जांच आवश्यक है और जांच के लिए किसी पूर्व जज की अध्यक्षता में SIT गठित की जाए।

याचिका की मुख्य माँगे

एक स्वतंत्र, न्यायिक नेतृत्व वाली SIT का गठन कराना।

मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट किए बिना किसी भी तरह का और संशोधन या अंतिमकरण न किया जाए — यानि ऑडिट पूरा होने तक सूची पर रोक।

निर्वाचन आयोग (EC) के लिए स्पष्ट और अनिवार्य पारदर्शिता व जवाबदेही के नियम बनाए जाएँ, ताकि मतदाता सूची की तैयार-आयादी, रखरखाव व प्रकाशन प्रक्रियाओं में सार्वजनिक निगरानी संभव हो।

मतदाता सूची में डुप्लीकेट या नकली नामों का पता लगाने व रोकने के लिए प्रणालीगत तंत्र लागू किया जाए।

मतदाता सूचियाँ ऐसे स्वरूप में प्रकाशित की जाएँ जो सुलभ, मशीन-रीडेबल तथा OCR-अनुकूल हों, ताकि स्वतंत्र सत्यापन व सार्वजनिक लेखा-जोखा संभव हो सके।

राहुल गांधी के आरोपों का हवाला
याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने वोट चोरी और निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए थे। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उन्होंने स्वयं इन आरोपों की स्वतंत्र जांच की है और कई ऐसे सबूत मिले हैं जो मानवीय वोटों के महत्व को घटाने और मतों में हेराफेरी के प्रयास की आशंका जगाते हैं। इसलिए सार्वजनिक हित में सुप्रीम कोर्ट की हस्तक्षेप आवश्यक है, कहा गया है।

याचिकाकर्ता द्वारा बताए गए तथ्यों के उदाहरण
याचिका में अनेक कथित विसंगतियों का विवरण दिया गया है, जिनमें प्रमुख रूप से ये तथ्य शामिल हैं:

लगभग 40,000 अवैध मतदाता होने का आरोप।

अधिक संख्या में डुप्लिकेट नामों के उदाहरण।

एक ही व्यक्ति के अलग-अलग राज्यों में अलग EPIC नंबर होने के मामलों का दावा (जबकि वास्तविकतः किसी व्यक्ति का एक ही EPIC नंबर होना चाहिए)।

कई मतदाताओं के घरेलू पते और पिता के नाम एक जैसे होना।

एक ही मतदान केंद्र पर लगभग 80 मतदाताओं द्वारा एक छोटे से घर को पता बताया जाना — ऐसे नमूने मतदाता सूची की प्रामाणिकता पर गंभीर शंका जगाते हैं।

कानूनी तर्क और संवैधानिक धाराएँ
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यदि मतदाता सूची में व्यापक हेराफेरी की पुष्टि होती है तो यह अनुच्छेद 325 और 326 के तहत “एक व्यक्ति-एक मत” के संवैधानिक सिद्धांत पर ही प्रहार होगा। इससे मान्य मतों का मूल्य घटेगा तथा समानता और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से त्वरित सुनवाई कर आवश्यक निर्देश जारी करने तथा निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची की तैयारी, प्रकाशन और रखरखाव में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट नियम निर्धारित करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि लोकहित को देखते हुए न्यायालयीय हस्तक्षेप अनिवार्य है ताकि मताधिकार की पवित्रता सुरक्षित रखी जा सके।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button