बाबा वैद्यनाथ धाम, एक प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग, बिहार प्रांत के सन्थाल परगने में स्थित है और वर्तमान में झारखंड के देवघर में स्थित है। यह स्थल शास्त्रों और लोककथाओं में बहुत प्रसिद्ध है। ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार, बाबा वैद्यनाथ जी की स्थापना के विषय में एक कथा प्रचलित है:
एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान शिव जी के दर्शन के लिए घोर तपस्या की। उसने एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू किए। इस प्रकार उसने अपने नौ सिर काटकर चढ़ा दिए। जब वह अपना दसवां और अंतिम सिर चढ़ाने के लिए तैयार हुआ, तब भगवान शिव जी अत्यंत प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हो गए। उन्होंने रावण को शीश काटने से रोक दिया, उसके नौ सिर भी पुनः जोड़ दिए और उसे वरदान मांगने को कहा।
रावण ने भगवान शिव से उस शिवलिंग को अपनी राजधानी लंका में ले जाने की अनुमति मांगी। भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया लेकिन एक शर्त भी रख दी कि यदि रावण ने रास्ते में कहीं इस शिवलिंग को रखा, तो यह वहीं स्थिर हो जाएगा और फिर उठाया नहीं जा सकेगा। रावण ने इस शर्त को स्वीकार कर शिवलिंग को उठाकर लंका की ओर चल पड़ा।
रास्ते में एक जगह रावण को लघुशंका की आवश्यकता महसूस हुई। उसने एक भक्त को शिवलिंग पकड़ाकर लघुशंका के लिए चला गया। भक्त को शिवलिंग का भार सहन नहीं हुआ और उसने उसे भूमि पर रख दिया। जब रावण लौटकर आया, तो वह शिवलिंग को किसी भी तरह नहीं उठा सका। थककर उसने उस शिवलिंग पर अपने अंगूठे का निशान बनाकर उसे वहीं छोड़ दिया और लंका लौट गया। तत्पश्चात ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने वहां आकर भगवान शिवलिंग की पूजा की। इस प्रकार वहां बाबा वैद्यनाथ जी की प्रतिष्ठा हुई और यही ज्योतिर्लिंग ‘श्रीवैद्यनाथ’ के नाम से जाना जाता है।
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✍🏻 ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
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VIKAS TRIPATHI
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