भुवनेश्वर, 3 अगस्त – एयर इंडिया की एक फ्लाइट, जो रविवार को भुवनेश्वर से दिल्ली के लिए रवाना होने वाली थी, उड़ान भरने से ठीक पहले केबिन के अत्यधिक तापमान (High Cabin Temperature) की वजह से रद्द कर दी गई। इस अचानक रद्दीकरण ने एक बार फिर एयर इंडिया की तकनीकी विश्वसनीयता और उड़ान सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एयर इंडिया ने इस फ्लाइट के संबंध में यात्रियों की संख्या, विमान का प्रकार, या तय उड़ान समय जैसी अहम जानकारियाँ सार्वजनिक नहीं की हैं। हालांकि, विमानन वेबसाइट Flightradar24.com के अनुसार, यह उड़ान AI500 नंबर से Airbus A321 विमान द्वारा दोपहर 12:35 बजे उड़ान भरने वाली थी और इसे 2:55 बजे दिल्ली पहुंचना था।
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा:“3 अगस्त को भुवनेश्वर से दिल्ली के लिए निर्धारित उड़ान AI500 को तकनीकी समस्या के कारण रद्द करना पड़ा। इस समस्या के चलते केबिन का तापमान उड़ान से पहले असामान्य रूप से बढ़ गया था। हमारी भुवनेश्वर एयरपोर्ट टीम यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानों की व्यवस्था में सहायता कर रही है। हम इस असुविधा के लिए खेद प्रकट करते हैं।”
एक ही दिन में दूसरी बड़ी तकनीकी गड़बड़ी
यह घटना एयर इंडिया के लिए दिन की दूसरी तकनीकी विफलता रही। इससे पहले, सिंगापुर से चेन्नई जाने वाली उड़ान AI349 को भी टेक-ऑफ से पहले आवश्यक मेंटेनेंस कार्य के चलते रद्द करना पड़ा था।
डीजीसीए की रिपोर्ट में 100 से ज्यादा नियम उल्लंघन
इस घटना की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह सामने आया है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा हाल ही में किए गए ऑडिट में एयर इंडिया के संचालन में 100 से अधिक उल्लंघन सामने आए हैं। इनमें से 7 को लेवल-1 उल्लंघन माना गया है, जिन्हें गंभीर सुरक्षा जोखिम की श्रेणी में रखा गया है। इनका संबंध पायलट प्रशिक्षण, चालक दल की ड्यूटी अवधि, विश्राम नियमों, और एयरस्पेस योग्यता से है — और इनमें त्वरित सुधार की आवश्यकता बताई गई है।
12 जून की भयावह दुर्घटना का साया अब भी ताज़ा
गौरतलब है कि 12 जून को एयर इंडिया का एक Boeing 787-8 विमान उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 241 यात्रियों सहित कुल 260 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। यह हादसा अब भी कंपनी की सुरक्षा प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
यात्रियों में बढ़ रही चिंता, सर्वे में खुला डर का सच
हाल ही में लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि 76 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि भारत की कई एयरलाइंस सुरक्षा से अधिक प्रचार और मार्केटिंग पर खर्च कर रही हैं। वहीं, 64 प्रतिशत यात्रियों ने माना कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार तकनीकी या परिचालन संबंधी कठिन उड़ान का अनुभव किया है।
विश्लेषण: क्या एयर इंडिया अब यात्रियों के भरोसे की परीक्षा पर है?
इन लगातार आ रही घटनाओं ने न केवल एयर इंडिया की संचालन क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकार और डीजीसीए की निगरानी व्यवस्था को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। एक ओर जहां टाटा समूह एयर इंडिया को “ग्लोबल एयरलाइन” बनाने का सपना देख रहा है, वहीं इस तरह की घटनाएं उसकी विश्वसनीयता और यात्रियों के भरोसे को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं।