
भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक देश को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लेते हुए एक बड़ी पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस दिशा में कई उपायों को लागू किया जा रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य नशीली दवाओं के अवैध कारोबार को समाप्त करना और समाज में जागरूकता फैलाना है।
मानस हेल्पलाइन की शुरुआत:
भारत सरकार ने ‘मानस हेल्पलाइन’ की शुरुआत की है, जो नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध बिक्री, भंडारण, निर्माण, और खेती से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह हेल्पलाइन गोपनीयता की गारंटी देती है और एनडीपीएस अधिनियम के तहत त्वरित कार्रवाई का वादा करती है। कोई भी नागरिक 1933 नंबर पर कॉल करके, info.ncbmanas@gov.in पर ईमेल भेजकर, या ncbmanas.gov.in वेबसाइट के माध्यम से अपराधों की रिपोर्ट कर सकता है।
शून्य सहनशीलता नीति:
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में, सरकार ने नशीली दवाओं के खिलाफ ‘शून्य सहनशीलता नीति’ अपनाई है। गृह मंत्रालय के अनुसार, संस्थागत सुदृढ़ीकरण, एजेंसियों के बीच समन्वित प्रयास, और व्यापक जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से 2047 तक नशा मुक्त भारत प्राप्त करने की योजना है।
दूसरे प्रयास:
भारत सरकार ने इस मिशन को पूरा करने के लिए कई अन्य प्रयासों को भी तेज कर दिया है। इनमें NCB के क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करना, ‘नशा मुक्त भारत’ जैसे जागरूकता अभियान शुरू करना, और नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए फोरेंसिक क्षमताओं और न्यायिक ढांचे को बढ़ाना शामिल है। साथ ही, 2016 में स्थापित एनसीओआरडी तंत्र के माध्यम से राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय की सुविधा प्रदान की जा रही है।
आगामी योजनाएं:
आगे के उपायों में राज्य स्तरीय मादक पदार्थ विरोधी कार्य बलों का गठन, अपराधियों के लिए समर्पित पोर्टलों का शुभारंभ, और नशीली दवाओं से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष न्यायालयों का निर्माण शामिल है।
भारत सरकार का यह कदम देश को नशा मुक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।