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रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राजधानी रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव-2024 का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा है। इस मौके पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि आदिवासी समुदाय की समृद्ध संस्कृति पर हमें गर्व होना चाहिए और इसे संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि झारखंड में जनजातीय समुदाय की पारंपरिक शासन व्यवस्था को लागू करना आवश्यक है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया कि राज्य में PESA कानून (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) को जल्द से जल्द लागू किया जाए, क्योंकि झारखंड देश का एकमात्र राज्य है जहां यह कानून अभी तक लागू नहीं हुआ है।
राज्यपाल गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि 31 जुलाई 2024 को झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण करने का सौभाग्य मिला। शपथ से पहले उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जिन्होंने अपने अल्पायु में ही मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास रच दिया और अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।
राज्यपाल ने झारखंड की धरती को वीरों की भूमि बताते हुए कहा कि यहां के वीर सपूतों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने बीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हु, चांद-भैरव, फूलो-झानो, और जतरा उरांव जैसे महान वीरों का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
गंगवार ने आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास और उनकी संस्कृति की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय द्वारा संरक्षित कला, संस्कृति, लोक साहित्य और रीति-रिवाज न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में ख्यातिप्राप्त हैं। उनका पर्यावरणीय ज्ञान और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का दृष्टिकोण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।
झारखंड में रहने वाली 32 जनजातियों का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यहां की सवा तीन करोड़ से अधिक जनसंख्या में करीब 27% आदिवासी समुदाय हैं, जिनमें 8 PVTGs (Particularly Vulnerable Tribal Groups) भी शामिल हैं। राज्यपाल ने कहा कि आज भी आदिवासी समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मौके पर डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान द्वारा 12 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। महोत्सव में पट्टा अधिनियम के तहत 11 जिलों में कुल 244 CFR (Community Forest Rights) का वितरण किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमें आदिवासी समाज से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, विशेष रूप से उनका प्रकृति के प्रति प्रेम और जीवन का सरल और संतुलित दृष्टिकोण।
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VIKAS TRIPATHI
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