
विश्व हिंदू परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2019 में बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त बनाने के कदम की सराहना की है। विहिप के केन्द्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने एक बयान में कहा कि कानून बनने के बावजूद लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण की घटनाएं नहीं रुकी थीं। अब, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2024 के विधानसभा में पारित होने के बाद, संगठित अपराधियों और जिहादी-मिशनरी तत्वों को डराया जा सकेगा।
परांडे ने कहा कि विधेयक में शिकायतकर्ताओं के दायरे को बढ़ाना, आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान, दंड की राशि को बढ़ाना और अवयस्कों व दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधानों का समावेश सराहनीय है। ऐसे कठोर प्रावधान निश्चित रूप से अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के मन में डर पैदा करेंगे और धर्मांतरण के माध्यम से राष्ट्रांतरण की मंशा रखने वालों को रोकने में मददगार होंगे। उन्होंने योगी सरकार को इस कानून के कठोर अनुपालन के लिए भी साधुवाद दिया।
परांडे ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव तक केवल 10-11 राज्यों ने ही धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किए हैं, और उनमें भी इतनी कठोर सजा का प्रावधान केवल उत्तर प्रदेश के इस कानून में ही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अन्य राज्य सरकारें भी इस मामले में तेजी से कदम उठाएंगी और अपने राज्यों को अवैध धर्मांतरण के अभिशाप से मुक्त करेंगी। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है, उन्हें जल्द ही एक कठोर दंड विधान के साथ इसे पारित करना चाहिए, और जिन कानूनों की स्थिति कमजोर है, उन्हें और सख्त बनाया जाना चाहिए और उनका पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद ने आशा व्यक्त की कि अन्य राज्य सरकारें भी इस कानून का अनुसरण करेंगी, ताकि जो लोग लालच, धोखे या बलपूर्वक धर्मांतरण, लव जिहाद और महिलाओं के साथ अत्याचार में लगे हैं, वे अपनी नापाक हरकतों से बाज आ सकें। साथ ही, समाज को भी इन मामलों में सतर्क रहकर उचित कार्रवाई में शासन-प्रशासन का सहयोग करना होगा, ताकि अपराधियों को कठोर सजा दिलाई जा सके।