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सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक पर रह रहे लोगों को हटाने पर रोक लगाई, उत्तराखंड सरकार को पुनर्वास की योजना बनाने के लिए कहा
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक पर रह रहे लोगों को हटाने के मामले में रोक लगाने के अपने फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह रेलवे ट्रैक के किनारे रह रहे लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था के लिए 4 हफ्ते के भीतर योजना बनाकर अदालत को सूचित करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग वहां रह रहे हैं, वे इंसान हैं और दशकों से वहां रह रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास अतिक्रमण हटाने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सबसे बड़ी बात यह है कि जो लोग वहां रह रहे हैं, वे इंसान हैं और दशकों से वहां रह रहे हैं। अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और राज्य को भी कुछ करने की आवश्यकता है। रेलवे ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें, जनहित याचिका का सहारा क्यों? इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।”
क्यों हटाना चाहती है सरकार?
रेलवे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि सरकार वहां वंदे भारत ट्रेन चलाना चाहती है, इसके लिए प्लेटफॉर्म को बड़ा करने की जरूरत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रेलवे की बात समझ रहे हैं, लेकिन इसमें संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। हम जानना चाहते हैं कि पुनर्वास को लेकर क्या योजना है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे ने रिकॉर्ड पर कहा है कि उन्हें अपनी जमीनों के बारे में जानकारी नहीं है। हमें आगे बढ़ने का एक रास्ता खोजना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फॉरेस्ट एरिया को छोड़कर किसी अन्य जमीन के विकल्प को तलाशने की जरूरत है।
50 हजार लोगों को बुलडोजर एक्शन का डर?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में जल्द कार्रवाई की जरूरत है। वहां पर 4365 घर हैं और 50 हजार लोग वहां रह रहे हैं। सुनवाई के दौरान हमें कुछ वीडियो और फोटो दिए गए, जिनमें कई परिवार सालों से रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में एक पॉलिसी डिसीजन लेना चाहिए। उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी और केंद्र सरकार के संबंधित विभाग के अधिकारी पुनर्वास योजना को लेकर बैठक करें। यह पुनर्वास योजना ऐसी होनी चाहिए जिसमें सभी सहमत हों। प्रभावित परिवारों की तुरंत पहचान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम शुरू हो जाना चाहिए। हम पांचवें हफ्ते में सुनवाई करेंगे। बता दें कि इस विवादित जमीन पर 4,000 से अधिक परिवारों के करीब 50,000 लोग रह रहे हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं।
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VIKAS TRIPATHI
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