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26 नाबालिग छात्रों के अभिभावकों के प्रतिनिधि समूह ने अमानवीय व्यवहार, भेदभाव, अपमान और अस्वीकृत बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने के कारण मूल अधिकार से वंचित करने की शिकायत के लिए एनसीपीसीआर अध्यक्ष से मिले
नई दिल्ली (द्वारका उप-नगरी): डीपीएस द्वारका स्कूल द्वारा बच्चों पर किए जा रहे मानसिक उत्पीड़न, अवमाननिय व्यवहार एवं भेदभावपूर्ण रवैए के खिलाफ 26 छात्रों के नाम काटे जाने पर उनके अभिभावकों का प्रतिनिधि समूह सोमवार को एनसीपीसीआर अध्यक्ष से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराई।
एनसीपीसीआर चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने आश्वासन दिया कि वह सीबीएसई, शिक्षा सचिव एवं डीसीपी द्वारका को नोटिस जारी कर इस पर तत्काल कार्रवाई करेंगे, जिससे बच्चों का मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव एवं अमानवीय व्यवहार न हो और ऐसे कृत्य करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो।
दिल्ली उच्च न्यायालय के 9 जुलाई के अंतरिम आदेश के बावजूद, स्कूल ने बच्चों और अभिभावकों को प्रताड़ित करने के लिए 21 अभिभावकों और उनके बच्चों के नाम अपनी अधिकृत वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिए। इससे उनके सहपाठियों, अन्य स्कूली छात्रों, सभी छात्रों के अभिभावकों और समाज को यह संदेश जाता है कि इन बच्चों के अभिभावक स्कूल फीस भरने में असक्षम हैं, जबकि ये अभिभावक नियमों/कानूनों का पालन करते हुए सदैव समय पर फीस भरते आए हैं। इसके बाद शनिवार को इन्हीं बच्चों के दूसरे भाई/बहन को मनमानी अस्वीकृत फीस जमा कराने की धमकी ईमेल द्वारा दी गई, वरना परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई। जब यह मुद्दा मीडिया द्वारा उठाया गया, तो मंगलवार को उन्होंने वह लिस्ट अपनी वेबसाइट से हटा दी।
डीपीएस द्वारका द्वारा अस्वीकृत फीस जमा न करने पर मासूम बच्चों के नाम काट दिए जाते हैं और उन्हें पूरे दिन लाइब्रेरी में अलग-थलग करके बैठा दिया जाता है। लाइब्रेरी में उन्हें किताबें पढ़ने की भी अनुमति नहीं दी जाती, अभिभावकों एवं सहपाठियों से बात तक नहीं करने दी जाती, और शौचालय भी नहीं जाने दिया जाता, जब तक स्कूल के कम से कम 2 कर्मचारी उन पर कड़ी निगरानी रखने के लिए उपलब्ध न हों।
यह पहली बार नहीं हो रहा है। 2022 में भी अस्वीकृत मनमानी फीस की वसूली के खिलाफ आवाज उठाने वाले अभिभावकों के मासूम बच्चों को स्कूल में प्रवेश से रोकने के लिए, स्कूल द्वारा बाउंसर किराए पर लिए गए थे। यह बाउंसर स्कूल के गेटों, क्लास और बस में उपस्थित रहकर अभिभावक/छात्रों की लिस्ट के अनुसार उन बच्चों को स्कूल बस में चढ़ने और स्कूल में प्रवेश करने से रोकते थे। अगर कोई क्लास में पहुंच भी जाता, तो उसे अध्यापिका कक्षा के बीच से लाइब्रेरी में ले जाती। ऐसी ही कवायद मई 2024 में 13 बच्चों के साथ की गई थी, और अब जुलाई 2024 में भी 26 बच्चों के साथ ऐसा ही किया जा रहा है।
शिक्षा निदेशालय के आदेशों का लगातार उल्लंघन करते हुए डीपीएस द्वारका बच्चों पर उत्पीड़न कर रहा है।
उपरोक्त सभी विवरण के बारे में एनसीपीसीआर चेयरमैन से लगभग 2 घंटे बातचीत हुई, और चेयरमैन, एनसीपीसीआर ने आश्वस्त किया कि इसकी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। प्रताड़ित अभिभावकों द्वारा 2 सालों से एनसीपीसीआर से आशा लगाए बैठे हैं कि वह इस पर संज्ञान लेकर कोई ठोस कार्रवाई करेंगे, जिससे मासूम बच्चों पर मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव एवं अमानवीय व्यवहार रुकेगा। अभिभावक प्रतिनिधि समूह के दिव्या मैटी, पिंकी पांडे, महेश मिश्रा, पिंकी दत्ता, राजबीर यादव, लिपिका जैन, प्रवीण मेनन, मनोज गुप्ता, शिवेंद्र विश्वास एवं तरुण जैन ने अध्यक्ष एनसीपीसीआर से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा।
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VIKAS TRIPATHI
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