नई दिल्ली — भारत ने सोमवार को अमेरिका द्वारा लगाए गए उन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत सस्ते भाव पर चावल अमेरिकी बाजार में बेचकर डंपिंग कर रहा है। सरकार का कहना है कि अमेरिका को भेजा जाने वाला प्रमुख रूप से बासमती चावल है — यह एक प्रीमियम किस्म है और इसकी कीमत सामान्य चावल से कहीं अधिक होती है — इसलिए इसे डंपिंग कहना गलत और भ्रामक है।
व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फिलहाल किसी तरह का प्रारंभिक (prima facie) डंपिंग मामला मौजूद नहीं दिखता और अमेरिकी पक्ष ने इस विषय पर कोई औपचारिक एंटी-डम्पिंग जांच भी शुरू नहीं की है। अग्रवाल ने यह भी कहा कि भारत का निर्यात पारदर्शी है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार होता है।
पृष्ठभूमि — क्या हुआ
पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह संकेत दिया था कि भारत अपने चावल को अमेरिकी बाजार में बहुत कम कीमत पर बेच रहा है और आवश्यक हुआ तो उस पर और टैरिफ लगाया जा सकता है। इस पर भारत ने कहा कि ऐसे आरोपों से न केवल राजनीतिक माहौल प्रभावित होता है बल्कि असत्य सूचनाएँ भारतीय निर्यातकों के हित को भी नुकसान पहुँचा सकती हैं।
निर्यात आंकड़े और प्रभाव
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने कुल 2.02 करोड़ मेट्रिक टन चावल का निर्यात किया, जिनमें से लगभग 3.35 लाख टन अमेरिका भेजा गया — और उस हिस्से में करीब 2.74 लाख टन बासमती था, जो की महंगी और प्रीमियम श्रेणी का माना जाता है। विशेषज्ञ और व्यापार संगठन कहते हैं कि अमेरिका को भेजे जाने वाले ये वॉल्यूम वैश्विक आपूर्ति का एक छोटा, खासतौर पर निच-बाजार (niche) हिस्सा हैं और सीधे घरेलू अमेरिकी उत्पादकों के साथ कीमत-प्रतिस्पर्धा नहीं करते।
दोनों देशों के बीच वार्ता
इस विवाद के बीच व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय टीम ने नई दिल्ली में अमेरिकी उप-व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर से बैठक की, जिसमें व्यापारिक मतभेद और प्रस्तावित व्यापार समझौते पर चर्चा हुई। भारत ने स्पष्ट किया कि वह निष्पक्ष, नियमों के अनुरूप और पारदर्शी व्यापार नीति के पक्ष में है और मामलों को कूटनीतिक और व्यापारिक चैनलों के माध्यम से सुलझाना चाहता है।
निर्यातकों की प्रतिक्रिया
भारतीय निर्यातक और व्यापार संघ इस मुद्दे को कम करके नहीं आंक रहे — वे अमेरिकी पक्ष को स्पष्ट आंकड़े और तथ्य उपलब्ध कराकर गलतफहमी दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ व्यापारियों ने यह भी कहा है कि यदि असत्य आरोपों के आधार पर अतिरिक्त शुल्क लगाए गए तो उसका सीधा असर निर्यात पर और भारतीय ब्रांड छवि पर पड़ेगा।














