नोएडा — विश्व दिव्यांग दिवस (3 दिसंबर) के अवसर पर फ़र्स्टवन रिहैब फ़ाउंडेशन ने नोएडा में एक समावेशी और जानकारियाँ देने वाली पैनल चर्चा आयोजित की। कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य दिव्यांगता के अधिकारों, प्रारम्भिक हस्तक्षेप (Early Intervention), टेली-रिहैबिलिटेशन, समावेशी शिक्षा और बहु-विषयक पुनर्वास (Multidisciplinary Rehabilitation) पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना था।
मुख्य अतिथि के रूप में PWD समुदाय से जुड़े दो प्रतिनिधि—विशेष शिक्षक अशोक कुमार और सेंटर मैनेजर सुरभि जैन—ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और ज़ोर दिया कि समावेशी समाज तभी बन पाएगा जब सभी के लिए समान अवसर, संवेदनशीलता और सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।
पैनल में शामिल विशेषज्ञों ने विविध आयामों पर चर्चा की। पैनलिस्टों में फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ. कृति खन्ना, डॉ. रितु जाटव, डॉ. गे्यता श्रीवास्तव, डॉ. प्रिया चौहान, डॉ. हिमांशु खुराना और डॉ. निहाल अशरफ़; ऑक्युपेशनल थैरेपिस्ट डॉ. अशुतोष उपाध्याय; स्पीच थैरेपिस्ट डॉ. स्नेहा बंसल; तथा विशेष शिक्षक विकास तिवारी और महेश्वरी चौधरी शामिल थे। उन्होंने विकासात्मक चुनौतियाँ, संवेदी एकीकरण, भाषा विकास, व्यवहारिक हस्तक्षेप और समावेशी शिक्षा पर अपने व्यावहारिक अनुभव व सुझाव प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रेज़ेंटेशन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें कई विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में सालिक मोहम्मद प्रथम और दिक्षा गौड़ द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित हुए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता फ़र्स्टवन रिहैब फ़ाउंडेशन के निदेशक डॉ. महीपाल सिंह और डॉ. दीक्षा श्रीवास्तव ने की, जबकि विशेष अतिथि के रूप में डॉ. भावना आनंद उपस्थित रहीं। समन्वय और कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी फ़ाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुश्मिता भाटी ने संभाली। आयोजन को सफल बनाने में कृष्णा यादव (एडमिन हेड), इलिका रावत, अभिनव प्रताप सिंह, रजत शर्मा और नैतिक ओझा का भी अहम योगदान रहा।
समापन में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समावेशन के लिए विशेषज्ञों, परिवारों और समुदाय का साझा और सतत प्रयास आवश्यक है। यह कार्यक्रम ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ समावेशी भविष्य निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी साबित हुआ।














