दिल्ली-एनसीआर में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे वायु प्रदूषण ने एक बार फिर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। राजधानी की हवा लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है और विपक्षी दलों के साथ-साथ आम नागरिक भी सरकारों से कठोर कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डॉ. किरण बेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदूषण संकट पर सख्त कदम उठाने की अपील की है।
किरण बेदी ने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली-एनसीआर की हवा अब “सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल” में बदल चुकी है और इससे निपटने के लिए केवल अस्थाई उपाय पर्याप्त नहीं होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश की हवा साल दर साल जहरीली होती जा रही है और इसका बड़ा कारण प्रशासनिक समन्वय की कमी और दीर्घकालिक योजना का अभाव है।
प्रधानमंत्री को दिए 4 प्रमुख सुझाव
किरण बेदी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री के लिए चार ठोस सुझाव दिए हैं—
1.हर महीने PM के नेतृत्व में समीक्षा बैठक:
तीन पड़ोसी राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों के साथ नियमित ऑनलाइन बैठकें की जाएं, ताकि जवाबदेही तय हो सके और समय रहते ठोस कार्रवाई की जा सके।
2.जनभागीदारी के लिए ‘मन की बात’ में संदेश:
लोगों को जागरूक करने और प्रदूषण रोकने में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने के लिए इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाए।
3.विभागीय समन्वय में सुधार:
उन्होंने कहा कि कई एजेंसियों के बीच बंटी जिम्मेदारियों को एकीकृत किया जाए ताकि निर्णय तेज और प्रभावी हों।
4मैदानी निगरानी और सक्रिय प्रशासन:
उन्होंने साफ कहा कि शासन केवल बैठकों से नहीं चलता—अधिकारियों को जमीन पर उतरकर हालात का आकलन करना होगा।
“तात्कालिक उपायों पर निर्भरता से नहीं होगा समाधान”
किरण बेदी का मानना है कि स्मॉग टावर, ऑड-ईवन आदि जैसे तात्कालिक उपाय केवल कुछ समय के लिए राहत देते हैं, लेकिन समस्या की जड़ को नहीं मिटाते। वाहन प्रदूषण, उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण धूल और पराली जलाना जैसे बड़े कारणों पर कठोर और स्थायी कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के छोटे लक्ष्य, दीर्घकालिक नीतियों से अधिक प्राथमिकता पाते हैं, जबकि असल समाधान स्वच्छ ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन, कड़े प्रवर्तन और दीर्घकालिक निवेश से ही संभव है।
डबल इंजन वाली सरकार की तरह चाहिए समन्वय
अंत में उन्होंने कहा कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वैसा ही तालमेल होना चाहिए जैसा विकास कार्यों के संदर्भ में ‘डबल इंजन सरकार’ के लिए कहा जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा—
“हवा की गुणवत्ता में सुधार तभी होगा जब शीर्ष नेतृत्व से लेकर हर विभाग और हर राज्य ईमानदारी और निरंतरता के साथ मिलकर काम करेगा।”














