Wednesday, November 26, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी का साउथ अफ्रीका दौरा और G20 समिट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21–23 नवंबर 2025 तक साउथ अफ्रीका के दौरे पर रहेंगे, जहां वे जोहान्सबर्ग में आयोजित 20वें G20 लीडर्स समिट में भाग लेंगे। यह समिट ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब G20 बैठक अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित हो रही है।


समिट की थीम और प्राथमिकताएँ

इस साल की G20 प्रेसीडेंसी की थीम “Solidarity, Equality, Sustainability” (एकजुटता, समानता, स्थिरता) है।

साउथ अफ्रीका की अध्यक्षता के तहत कुछ मुख्य एजेंडे प्वाइंट्स हैं:

1.प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लचीलापन (disaster resilience) बढ़ाना

2.कम-आय वाले देशों पर कर्ज का स्थिर प्रबंधन (debt sustainability) सुनिश्चित करना

3.न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण (just energy transition) के लिए वित्त जुटाना, ताकि साफ़ और हरित ऊर्जा में बदलाव हो सके।

4.“क्रिटिकल मिनरल्स” (महत्वपूर्ण खनिज) का समावेशी विकास — इन खनिजों का उपयोग टिकाऊ विकास के लिए करना।

5.ग़ैरक़ानूनी वित्तीय धाराओं (illicit financial flows) पर नियंत्रण — अफ्रीकी देशों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है।

इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीकी G20 अध्यक्षता Ubuntu के दर्शन को भी आगे बढ़ा रही है — यह एक अफ़्रीकी विचारधारा है, जिसका अर्थ है “मैं इसलिए हूँ क्योंकि तुम हो” — यानी, हम सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं।

अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू और खामियां

1.असमानता रिपोर्ट

साउथ अफ्रीका ने एक विशेषज्ञ टीम बनाई है, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिगलित्ज़ कर रहे हैं। यह टीम ग्लोबल धन असमानता (wealth inequality) का विश्लेषण करेगी और G20 समिट में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

रिपोर्ट में यह प्रस्ताव है कि एक अंतर-सरकारी पैनल बनाया जाए, जो “inequality emergency” (असमानता की आपात स्थिति) से निपटे।

2.गैरक़ानूनी वित्तीय प्रवाह (Illicit Financial Flows)

साउथ अफ्रीका G20 के दायरे में पारदर्शिता बढ़ाने और वित्तीय शोषण को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों का समर्थन करना चाहती है।

इसके लिए G20 में एक “call to action” पेश करने की योजना है, ताकि वित्तीय गवर्नन्स मजबूत हो और अफ्रीकी देशों में संसाधनों का उपयोग बेहतर हो सके।

3.महत्वपूर्ण स्थल: जोहान्सबर्ग, Nasrec

समिट का आयोजन नासरेक एक्सपो सेंटर (Nasrec Expo Centre) में होगा, जो साउथ अफ्रीका की सबसे बड़ी कॉन्फ्रेंस स्थल है।

यह स्थान सोवेटो के पास है, जो पोस्ट-अपार्थाइड spatial integration (भौगोलिक एकीकरण) का प्रतीक माना गया है।

जोहान्सबर्ग शहर में गहन चुनौतियाँ हैं — बुनियादी अवसंरचना की समस्याएं, सेवा-कमी, और अन्य शहरी असमानताएँ।

समिट से पहले शहर के सुधार के लिए प्रयास किए गए हैं, और अफ्रीकी विकास बैंक ने लगभग $139 मिलियन के निवेश को मंजूरी दी है।

4.राजनीतिक तनाव और बहिष्कार

यूएस (संयुक्त राज्य अमेरिका) की ओर से इस समिट पर विरोध की खबरें हैं।

कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि G20 में यूएस की भागीदारी कम हो सकती है, जिससे दक्षिण अफ्रीका की G20 नेतृत्व रणनीति पर असर पड़ने की आशंका है।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा ने सार्वजनिक रूप से मल्टीलेटरलिज्म (बहुपक्षवाद) की वकालत की है और विकासशील देशों, खासकर अफ्रीका के दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

5.G20 सोशल समिट

G20 के पहले “सोशल समिट” (18–20 नवंबर 2025) की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें युवा संगठन, महिलाएं, धर्म-आधारित समूह, विकलांगता संगठनों और जनता-स्तर की संस्थाओं को आमंत्रित किया गया है।

यह पहल इस दिशा में है कि G20 सिर्फ नेताओं का मंच न हो, बल्कि आम लोगों के मुद्दों को भी सुना जाए और उनके अनुभव G20 की निष्कर्षों में प्रतिबिंबित हो।

मोदी की भूमिका और रणनीति

  • प्रधानमंत्री मोदी इस समिट में भारत की आवाज को “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” के विज़न के साथ पेश करेंगे — यह न सिर्फ पारंपरिक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होगा, बल्कि ग्लोबल नैतिकता, सहयोग और समावेशी विकास पर आधारित होगा।

  • उनकी मुलाकातें अन्य प्रमुख नेताओं के साथ महत्वपूर्ण होंगी — ये बैठकें G20 के एजेंडा के साथ-साथ IBSA समिट (इंडिया-ब्राज़ील-साउथ अफ्रीका) के हिस्से के भी होंगी, जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने में सहायक है।

  • मोदी इस दौरान वहां बसे भारतीय डायस्पोरा से भी संवाद करेंगे, जिसे वे “दुनिया के सबसे बड़े डायस्पोरा समुदायों में से एक” कह चुके हैं। इससे न केवल राजनयिक, बल्कि सामाजिक जुड़ाव को भी बल मिलेगा।


G20 समिट का वैश्विक और क्षेत्रीय महत्व

यह समिट अफ्रीका के लिए एक वैश्विक मंच जैसा है — पहली बार G20 अफ्रीकी जमीन पर हो रहा है, जिससे महाद्वीप के विकास मुद्दों को सीधे विश्व नेताओं के सामने लाने का अवसर मिल गया है।

दक्षिण अफ्रीका इस मंच का उपयोग “ग़ैर-समान आर्थिक समीकरण” (inequity), जलवायु न्याय, और विकास बैंक सुधार जैसे मुद्दों को उठाने के लिए कर रहा है।

यह G20 समिट एक तरह से ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) की आवाज़ को मजबूत करने वाला आयोजन है, खासकर उन देशों के लिए जो पारंपरिक आर्थिक शक्ति केंद्रों के बाहर हैं।

साथ ही, यदि इस समिट पर सार्थक नीतिगत क़दम उठाए जाते हैं — जैसे कर्ज राहत, ऊर्जा संक्रमण, वित्तीय पारदर्शिता — तो यह लंबे समय में विकासशील देशों की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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