पटना — गुरुवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 26 मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई। नई कैबिनेट में बहुतेरे चेहरे पूर्व की सरकारों से जुड़े हुए हैं —वहीं, जदयू के जमां खान इस बार नीतीश कैबिनेट के एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं।
शपथ ग्रहण और मंत्रियों की रूपरेखा
शपथ ग्रहण समारोह में राज्य के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता शामिल रहे। 26 मंत्रियों में भाजपा, जदयू, एलजेपी व अन्य छोटे दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
बीजेपी के मंत्री (मुख्य नाम)
सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, दिलीप जायसवाल, नितिन नवीन, सुरेंद्र मेहता, संजय टाइगर, राम कृपाल यादव, रमा निषाद, लखेंद्र पासवान, मंगल पांडे, श्रेयसी सिंह, अरुण शंकर प्रसाद, नारायण शाह, प्रमोद कुमार चंद्रवंशी।
जगदलू यादव यूनाइटेड (जदयू) के मंत्री
अशोक चौधरी, सुनील कुमार, विजेंद्र यादव, लेसी सिंह, श्रवण कुमार, मदन सहनी, विजय चौधरी और जमां खान (जमा खान को भी कैबिनेट में शामिल किया गया)।
अन्य दल
एलजेपी से दो मंत्री तथा जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों से एक-एक मंत्री बनाए गए हैं।
जमां खान — नई कैबिनेट के एकमात्र मुस्लिम मंत्री
जमां खान को इस बार कैबिनेट में शामिल कर अल्पसंख्यक स्वरूप का प्रतिरूप देखने को मिला — वे नई सरकार के एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं। उनका राजनीतिक-चालूजीवनी और पृष्ठभूमि इस प्रकार है:
वोट और चुनावी रिकॉर्ड: रिपोर्ट के अनुसार 2025 के विधानसभा चुनाव में जमां खान ने कैमूर जिले के चैनपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और उन्हें 70,876 वोट (30.94%) मिले; उन्होंने आरजेडी के बृज किशोर बिंद को पराजित कर जीत हासिल की।
पिछली जीत: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जमां खान ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की टिकट पर चैनपुर से जीत दर्ज की थी और उस सरकार में वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे।
पार्टी परिवर्तन: चुनाव जीतने के तीन महीनों बाद जनवरी 2021 में उन्होंने बसपा छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (JDU) में शामिल होने का रास्ता अपनाया। जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में स्थान मिला और वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय संभालते रहे।
शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन: जमां खान का जन्म कैमूर जिले के चैनपुर के नौघरा में हुआ। प्रारम्भिक पढ़ाई उत्तर प्रदेश व बिहार में हुई; 12वीं तक की पढ़ाई बनारस से की। उन्होंने कहा है कि उनके पूर्वज राजपूत थे जिन्होंने बाद में इस्लाम को अपनाया — और आज भी उनके कुछ हिन्दू रिश्तेदार मौजूद हैं।
चुनावी यात्रा: जमां खान ने 2005 में पहली बार बसपा टिकट पर चैनपुर से चुनाव लड़ा (पराजित), 2010 में कांग्रेस से दूसरा प्रयास किया (पराजित), 2015 में बसपा से बेहद कम वोटों के अंतर से हार गए (करीब 600 वोट), और 2020 में बसपा के टिकट पर पहली जीत हासिल की। बाद में 2021 में जदयू में शामिल होकर सक्रिय भूमिका निभाई।
क्या मायने रखता है यह कैबिनेट?
नीतीश कुमार की यह नई कैबिनेट राजनीतिक संतुलन, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के साथ-साथ सहयोगी दलों के प्रतिनिधित्व का संकेत देती है। जमां खान का शामिल होना और उन्हें सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री के रूप में स्थान मिलना सामाजिक-राजनीतिक चर्चा का विषय रहेगा। साथ ही सहयोगी दलों — खासकर बीजेपी, एलजेपी और अन्य घटक पार्टियों — के लिए यह कैबिनेट उनकी ताकत और हिस्सेदारी दर्शाती है।














