गुवाहाटी — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत बुधवार को गुवाहाटी में आयोजित यूथ लीडरशिप कॉन्क्लेव में शामिल हुए और युवाओं से अपील की कि वे संघ के बारे में पहले से तैयार राय न बनाएं — पहले नज़दीक से देखें और समझें। उन्होंने कहा कि कई बार RSS के बारे में मिली जानकारी आधी-अधूरी या गलत होती है और इसे समझना ज़रूरी है।
भागवत ने कहा कि RSS से जुड़ी 50 प्रतिशत से अधिक जानकारियाँ या तो गलत हैं या अधूरी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मीडिया संस्थान और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों पर आरएसएस के ख़िलाफ़ जानबूझकर गलत सूचना फैलाने का अभियान भी चलता है। इसके साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय मंचों और कुछ डिजिटल माध्यमों पर जो जानकारियाँ दी जाती हैं, वे भी कई बार अपूर्ण या भ्रामक होती हैं।
विकास के उदाहरण पढ़िए, समाज मजबूत बनाइए
सरसंघचालक ने युवाओं से आग्रह किया कि वे विकसित देशों के इतिहास का अध्ययन करें। उनका कहना था कि इन देशों के पहले सौ साल सामाजिक एकता और गुणात्मक मजबूती बनाने पर केन्द्रित रहे, और भारतीय समाज को भी इसी तरह अपने आधार को मज़बूत करना होगा। भागवत ने यह विचार RSS के शताब्दी वर्ष पर अपनाए गए सामाजिक परिवर्तन के पांच प्रमुख सिद्धांतों से जोड़ा।
उन्होंने दोहराया कि संघ का प्राथमिक उद्देश्य भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाना है। उनका मानना है कि राष्ट्र का उत्थान तभी संभव है जब समाज उत्थान पाए — व्यक्ति-निर्माण से समाज बदलता है और समाज बदलने पर व्यवस्था में भी परिवर्तन आते हैं।
पूर्वोत्तर में जमीनी मौजूदगी बढ़ाने का आलेख
भागवत ने कहा कि भारत की महानता उसकी विविधता में निहित है — भाषा, क्षेत्र और आस्था-आधारित विविधताओं का सम्मान ही भारत की शक्ति है। उन्होंने बताया कि संघ का उद्देश्य जमीनी स्तर पर गैर-राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व तैयार करना है। इसके तहत देश के दूर-दराज़ पूर्वोत्तर क्षेत्र में संघ की नींव धीरे-धीरे मजबूत हो रही है।
उन्होंने युवाओं से RSS की गतिविधियों में शामिल होने का भी आग्रह किया और कहा कि संघ समाज का अभिन्न अंग है। भागवत ने यह भी कहा कि ‘भारत प्रथम’ के सिद्धांत के तहत देश को सशक्त बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है — एक सशक्त भारत बनने पर पूर्वोत्तर सहित तमाम चुनौतियाँ अपने आप कम हो जाएँगी।














