कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि बीते कुछ वर्षों में पार्टी पहले की तुलना में अधिक वामपंथी रुख अपनाती दिख रही है। उनके अनुसार, यह बदलाव आंशिक रूप से भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का मुकाबला करने की रणनीति का परिणाम है।
रेडिकल सेंट्रिज़्म (कट्टर केंद्रीयता) पर आयोजित अपने व्याख्यान के बाद थरूर से पूछा गया कि क्या भाजपा की राजनीति के विरुद्ध कांग्रेस और वामपंथी दलों का साथ आना इस विचारधारा का उदाहरण है। इस पर उन्होंने कहा कि उनकी दृष्टि राजनीतिक जोड़-तोड़ पर नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधाराओं पर केंद्रित है—जहाँ कुछ वैचारिक दूरियों को पाटने की आवश्यकता है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि ‘रणनीतिक समायोजन’ लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
“कांग्रेस पहले से कहीं अधिक वामपंथी”
थरूर ने कहा कि हाल के समय में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस का रुख पहले की तुलना में स्पष्ट रूप से अधिक वामपंथी हुआ है। उन्होंने इसे रणनीतिक बदलाव, दार्शनिक परिवर्तन या दोनों का मिश्रण बताते हुए कहा कि समय के साथ इसका स्वरूप और स्पष्ट होगा।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस अधिक मध्यमार्गी थी और उसने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की कई नीतियों से प्रेरणा ली थी। थरूर ने कहा कि 1991 में नरसिम्हा राव सरकार द्वारा प्रारंभ की गई आर्थिक नीतियों को भाजपा ने बाद में सत्ता में आने पर आगे बढ़ाया। उनके अनुसार, 1991 से 2009 तक एक ऐसा दौर था जब भारतीय राजनीति में मध्यमार्ग अपेक्षाकृत स्थिर रहा, लेकिन इसके बाद परिस्थितियाँ बदलनी शुरू हुईं।
“मैं तत्काल राजनीति नहीं, दीर्घकालिक सिद्धांतों की बात कर रहा हूँ”
थरूर ने स्पष्ट किया कि उनकी वकालत मौजूदा राजनीतिक समीकरणों या सीट-स्तरीय गठजोड़ों से आगे की है। उनका कहना था कि ध्यान व्यापक विचारधारा और सिद्धांतों पर होना चाहिए, न कि केवल चुनावी गणित पर।
AICC अध्यक्ष पद पर सवाल
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे पुनः AICC अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं, तो थरूर ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती। हालांकि उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ सक्रिय हैं।
विदेश में कार्यरत भारतीय युवाओं पर अमेरिकी बयान
अमेरिका के उस बयान पर, जिसमें कहा गया था कि विदेशी कुशल श्रमिक अमेरिका में काम कर वहाँ के लोगों को प्रशिक्षित करें और फिर अपने देश लौट जाएँ, थरूर ने कहा कि भारत को इससे कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे युवा विदेशों में अनुभव प्राप्त करें और फिर भारत लौटकर देश की प्रगति में योगदान दें।”














