Friday, November 14, 2025
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BMC Election Dates:बीएमसी चुनाव की तारीख़ों की आज हो सकती है घोषणा, शिवसेना की दोनों धाराओं के लिए ‘अग्निपरीक्षा’

महीनों के इंतज़ार के बाद आखिरकार बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव की तारीख़ों का ऐलान आज होने की पूरी संभावना है। राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने मंगलवार, 4 नवंबर को शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ़्रेंस बुलाई है, जिसमें राज्यभर के नगर निगमों, नगर परिषदों, नगर पंचायतों, जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की उम्मीद है।

राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मीडिया को संबोधित करेंगे और औपचारिक रूप से चुनावी तारीख़ों की घोषणा कर सकते हैं। एक बार घोषणा होते ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। आयोग के अधिकारी अधिसूचना जारी होने के बाद चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पहले से ही ज़मीनी स्तर पर तैयारी में जुटे हुए हैं।

इन चुनावों को हाल के वर्षों में महाराष्ट्र के सबसे बड़े स्थानीय निकाय चुनावों में से एक माना जा रहा है। इस चरण में 29 नगर निगम, 289 नगर परिषदें, 331 पंचायत समितियाँ और 32 जिला परिषदें शामिल होंगी।


शिवसेना में टूट के बाद पहला बीएमसी चुनाव

शिवसेना में विभाजन के बाद यह बीएमसी का पहला बड़ा चुनाव है। एक ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना है, तो दूसरी ओर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी)। दोनों के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है।

2024 के विधानसभा चुनावों में मुंबई की 11 सीटों पर दोनों गुटों के बीच सीधा मुकाबला हुआ था — जिसमें शिंदे गुट ने पाँच और उद्धव गुट ने छह सीटें जीतीं। इन विधानसभा क्षेत्रों के 67 वार्डों में से शिंदे शिवसेना 35 वार्डों में आगे रही, जबकि उद्धव शिवसेना यूबीटी ने 32 वार्डों में बढ़त बनाई।


बीएमसी क्यों है इतनी अहम?

एशिया के सबसे समृद्ध नगर निगम के तौर पर मशहूर बृहन्मुंबई नगर निगम का साल 2025–26 का बजट लगभग 70,000 करोड़ रुपये का है। 1997 से यह शिवसेना का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन अब शहर दो शिवसेनाओं के बीच बंटा हुआ दिखाई देता है।

बीएमसी चुनाव सिर्फ सत्ता का समीकरण तय नहीं करेंगे, बल्कि मुंबई की राजनीतिक पहचान और बाल ठाकरे की विरासत पर अधिकार की जंग भी साबित होंगे।

उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव मुंबई में अपनी जनाधार और विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करने का मौका है। वहीं, एकनाथ शिंदे के लिए बीएमसी पर कब्ज़ा उनकी पार्टी की संगठनात्मक ताकत और महायुति गठबंधन में प्रभाव को और मज़बूत करेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीएमसी चुनाव उद्धव के लिए केवल सत्ता पाने का प्रश्न नहीं है — यह जनता के सामने उनकी राजनीतिक वैधता और ठाकरे विरासत के संरक्षण की परीक्षा है। दूसरी ओर, शिंदे के लिए बीएमसी पर नियंत्रण उनकी नेतृत्व क्षमता और असली शिवसेना के दावे को ठोस आधार देगा।

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VIKAS TRIPATHI
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