बिहार की सियासत में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार तस्वीर साफ हो गई है — तेजस्वी यादव अब महागठबंधन (Grand Alliance) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार (CM Face) होंगे।कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने गुरुवार को औपचारिक रूप से इस घोषणा की, जिससे बिहार की राजनीति में चल रही अटकलों पर विराम लग गया।
कांग्रेस की ‘ना-नुकुर’ के बाद बनी सहमति
इस फैसले तक पहुंचने में महागठबंधन के घटक दलों के बीच लंबी खींचतान और मतभेद रहे।
कांग्रेस शुरू में तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने को लेकर हिचकिचा रही थी, जिससे गठबंधन में तनाव और टूट की आशंका पैदा हो गई थी।लेकिन अंततः राजनीतिक यथार्थ के आगे कांग्रेस को झुकना पड़ा — क्योंकि राजद (RJD) बिहार की सबसे बड़ी और सबसे संगठित पार्टी है, जबकि कांग्रेस के पास न तो मजबूत जनाधार है और न ही कोई प्रभावशाली स्थानीय चेहरा।
तेजस्वी की लोकप्रियता कांग्रेस के लिए ‘जरूरत और मजबूरी’
कांग्रेस के लिए तेजस्वी यादव का चेहरा स्वीकार करना सियासी मजबूरी भी है और रणनीतिक जरूरत भी।
बिहार के युवा वर्ग में तेजस्वी यादव की मजबूत पकड़ और लोकप्रियता कांग्रेस के लिए वोट बैंक को साधने में मददगार साबित हो सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने यह फैसला देर से भी लिया, तो भी यह कदम महागठबंधन को एकजुट रखने और चुनावी लाभ दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।
‘भारी मन से लेकिन व्यावहारिक फैसला’
कांग्रेस ने यह निर्णय भारी मन से भले लिया हो, लेकिन राजनीतिक विवशता के चलते यह सबसे व्यावहारिक फैसला माना जा रहा है।टिकट बंटवारे और अंदरूनी खींचतान से जूझ रही कांग्रेस के लिए बिहार में अपनी साख बचाए रखना बड़ी चुनौती है।ऐसे में तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करना वास्तविकता को स्वीकार करने जैसा कदम है, ताकि महागठबंधन के भीतर तालमेल और स्थिरता बनी रहे।
तेजस्वी यादव बोले — “20 महीने में 20 साल का काम करेंगे”
सीएम फेस घोषित होने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका लक्ष्य बिहार को नई दिशा देना है।
उन्होंने कहा —
“हम नई सोच के साथ सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। हमें बस 20 महीने दीजिए, हम 20 साल के बराबर काम करेंगे। अगर तेजस्वी की परछाई भी गलत काम करेगी, तो उसे सजा दिलाने का काम खुद तेजस्वी करेगा — यही हमारा संकल्प है।”
तेजस्वी के इस बयान से उनके आत्मविश्वास और आक्रामक चुनावी तेवर दोनों झलकते हैं।
राजनीति में नया समीकरण
तेजस्वी यादव के सीएम फेस बनने के साथ ही बिहार की सियासत में अब मुकाबला एनडीए बनाम महागठबंधन के युवा चेहरे पर केंद्रित हो गया है।कांग्रेस के इस फैसले से जहां महागठबंधन को मजबूती मिलेगी, वहीं भाजपा-जदयू गठबंधन के सामने एकजुट विपक्ष की चुनौती और बढ़ गई है।














