कांग्रेस ने हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की कथित आत्महत्या के मामले को लेकर भाजपा और आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा-आरएसएस शासन में देश में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के लिए “शत्रुतापूर्ण माहौल” तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,
“तीन घटनाएं एक ही सप्ताह में ‘तीन का नियम’ बनकर सामने आई हैं — रायबरेली में भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी, आरएसएस विचारधारा से जुड़ा व्यक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकता है, और हरियाणा में दलित आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार जातिगत भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं।”
वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा शासन में “जब तक आप दलित हैं, चाहे आप देश के प्रधान न्यायाधीश हों, एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हों या आम नागरिक — आपको अपमान, अन्याय और हिंसा का सामना करना पड़ेगा।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भाजपा का “400 पार” नारा सिर्फ संविधान को कमजोर करने की योजना का हिस्सा था।
“अब वे एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था गढ़ रहे हैं जो डॉ. अंबेडकर के संवैधानिक मूल्यों को मिटाकर भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को स्थायी बनाए,” उन्होंने कहा।
खरगे बोले — भाजपा का मनुवादी तंत्र बन चुका है अभिशाप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस मामले पर भाजपा पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “भाजपा का मनुवादी तंत्र” देश के एससी, एसटी, ओबीसी और कमजोर वर्गों के लिए “अभिशाप” बन गया है।
खरगे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की मजबूरन आत्महत्या न सिर्फ दुखद है, बल्कि यह सामाजिक अन्याय और संवेदनहीनता का भयावह उदाहरण है। पिछले 11 वर्षों में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता को इतना गहरा कर दिया है कि एडीजीपी रैंक के अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई का अधिकार नहीं मिलता।”
उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में ही देश के मुख्य न्यायाधीश पर हमला करने का प्रयास हो सकता है और भाजपा उसे “जातिवाद” के बहाने सही ठहराने की कोशिश करे, तो “सबका साथ, सबका विकास” का नारा केवल एक भद्दा मज़ाक बनकर रह जाता है।
खरगे ने आगे कहा,
“हरिओम वाल्मीकि जैसे निर्दोष दलितों की मॉब लिंचिंग होती है, और प्रधानमंत्री तक एक शब्द निंदा के नहीं बोलते। यह सिर्फ कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं, बल्कि भाजपा और संघ द्वारा पोषित अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आईना है, जो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान को बार-बार कुचलती रही है।”
पूरन कुमार की मौत ने उठाए गंभीर सवाल
हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार (52) मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित अपने सेक्टर-11 आवास में मृत पाए गए थे। पुलिस के अनुसार, उनके शरीर पर गोली लगने के निशान थे। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला माना जा रहा है, हालांकि जांच जारी है।
इस घटना ने देश में जाति-आधारित भेदभाव, पुलिस बलों में सामाजिक न्याय और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर एक बार फिर गंभीर बहस खड़ी कर दी है।