पटना: विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बैठकों और मंथन का दौर लगातार जारी है।
इसी बीच, विपक्षी महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और अन्य सहयोगी दल) में अब तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लेकर चर्चा गर्मा गई है। सूत्रों के मुताबिक, इस फॉर्मूले के तहत एक डिप्टी सीएम दलित समुदाय से, दूसरा मुस्लिम समुदाय से और तीसरा अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से बनाए जाने की योजना है।
कांग्रेस के सवाल: “तीन डिप्टी सीएम का फॉर्मूला उल्टा असर कर सकता है”
महागठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस ने इस फॉर्मूले पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस का तर्क है कि अगर आरजेडी तेजस्वी यादव (OBC) और मुकेश सहनी (EBC) को प्रमुख भूमिकाओं में रखती है, तो दलित समुदाय की उपेक्षा का आरोप लग सकता है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार:
“हमारा फोकस दलित और ईबीसी दोनों वर्गों पर है। अगर डिप्टी सीएम पद दलित को नहीं मिला तो यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस संघर्ष के लिए दलित नेतृत्व को आगे रखती है, लेकिन सत्ता में उनका हक नहीं देती।”
मुस्लिम डिप्टी सीएम बने तो सवर्ण विरोधी टैग, सवर्ण बने तो नाराज़ होंगे मुस्लिम
महागठबंधन के भीतर इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि अगर मुस्लिम समुदाय से डिप्टी सीएम बनाया गया, तो बीजेपी और एनडीए इसे “सवर्ण विरोधी गठबंधन” बताकर प्रचारित करेंगे।
वहीं अगर सवर्ण चेहरे को डिप्टी सीएम बनाया गया, तो इससे महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक में असंतोष पैदा हो सकता है।
राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना है कि अगर सीएम ओबीसी वर्ग से हैं, और डिप्टी सीएम दलित, ईबीसी, सवर्ण और मुस्लिम चारों समुदायों से बनाए जाते हैं, तो जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि गठबंधन पद बांटने में व्यस्त है, जनता के मुद्दों से नहीं।
“तीन डिप्टी सीएम” से महागठबंधन की छवि पर असर
कांग्रेस का कहना है कि सरकार बनने से पहले ही अगर इतनी पदों की खींचतान शुरू हो जाए, तो गठबंधन की छवि सत्तालोलुपता (power-hungry politics) की बन जाएगी।
ऐसे में सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के बीच बातचीत चल रही है ताकि सीट बंटवारे पर सहमति बन सके। अगर सहनी को कुछ अतिरिक्त सीटें दी जाती हैं, तो तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले से बचा जा सकता है।
तेजस्वी यादव का बड़ा वादा: हर परिवार को एक सरकारी नौकरी
उधर, चुनावी घोषणाओं के मोर्चे पर आरजेडी नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक बड़ा ऐलान किया है।
तेजस्वी ने कहा है —
“अगर हमारी सरकार बनी, तो हम एक ऐसा कानून लाएंगे जिसके तहत हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर यह कानून लागू कर दिया जाएगा।
बिहार के सियासी समीकरण लगातार बदल रहे हैं।
एक ओर जहां एनडीए अपने जातीय समीकरण को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन आंतरिक संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व के बीच तालमेल बिठाने की जद्दोजहद में है।
तीन डिप्टी सीएम का फॉर्मूला इस समय महागठबंधन के लिए राजनीतिक रणनीति से ज्यादा सिरदर्द बन गया है।