करूर (तमिलनाडु) — अभिनेता-राजनेता विजय की जनसभा में शनिवार को हुई भगदड़ की घटनाओं में अब तक 40 लोगों की मौत और 95 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल बताये जा रहे हैं। घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में जारी है और प्रशासन बचाव व राहत कार्यों में जुटा हुआ है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का दुख — मुआवजे की घोषणा
देशभर के नेताओं ने करूर त्रासदी पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतक परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय राहत कोष (PM CARES/PM Relief) से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी मृतकों के परिजनों के लिए 10–10 लाख रुपये और घायलों के लिए 1–1 लाख रुपये सहायता देने की घोषणा की और राहत तथा पोस्टमॉर्टम कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए। अभिनेता विजय ने भी व्यक्तिगत तौर पर मृतकों के परिजनों को 20–20 लाख रुपये और घायलों को 2–2 लाख रुपये देने का ऐलान किया।
क्या हुआ — तुरंत की गई राहत प्रयास
रैली के दौरान भीड़ में अचानक अफरा-तफरी और दम घुटने के कारण कई लोग बेहोश हुए; कुछ जगहों पर लोग दब गये। मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मी और पुलिस ने प्राथमिक उपचार शुरू किया और घायल लोगों को नज़दीकी अस्पतालों में भेजा गया। प्रशासन ने घटनास्थल पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और स्थानीय अधिकारी घटना की जांच में जुटे हैं।
शशि थरूर का निष्कर्ष: भीड़-प्रबंधन में बड़े पैमाने पर कमी
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इस हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएँ बताती हैं कि देश में भीड़ प्रबंधन के मानकों और नियमों में कमी है। थरूर ने कहा:
“यह बहुत ही दर्दनाक है। हर साल हम भगदड़ों की किसी न किसी खबर से परेशान होते हैं — हमें बेंगलुरु जैसी घटनाएँ याद आती हैं। बच्चों की मौत सुनकर मन व्यथित हो जाता है।”
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित नीति, नियम और प्रोटोकॉल बनाए जाएँ ताकि बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों और रैलियों में भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। थरूर ने कहा कि नेता और कलाकारों के कार्यक्रमों में आने वाले लोगों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।
आगे का कदम — जांच और सुरक्षा सुधार की ज़रूरत
राज्य सरकार और पुलिस ने प्रारम्भिक तौर पर दुर्घटना के कारणों की जाँच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि भीड़-प्रबंधन क्लेम्पिंग, आपात मार्गों की अनुपलब्धता और गर्मी/घनत्व के कारण हालात बिगड़े। भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए अनुमति-प्रक्रिया, सुरक्षा-प्रोटोकॉल और आपात प्रतिक्रिया व्यवस्था की समीक्षा की संभावना जताई जा रही है।
करूर की यह त्रासदी फिर से देश में भीड़-नियंत्रण व सार्वजनिक सुरक्षा के मानकों पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। फिलहाल प्राथमिकता बचाव, घायलों का बेहतर इलाज और शोक संतप्त परिवारों को त्वरित राहत उपलब्ध कराना है। साथ ही राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर यह स्पष्ट चुनौती बन गई है कि बड़े जनसमुदाय वाले आयोजनों के लिए ठोस और क्रियान्वयन योग्य नियम बनाए जाएँ।