पटना: बिहार सरकार ने खादी उद्योग को पुनर्जीवित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक योजना की घोषणा की है। योजना के तहत खादी संस्थानों को चरखा और करघा 90% अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, साथ ही प्रति चरखा ₹40,000 तक का लोन सिर्फ 4% वार्षिक ब्याज पर दिए जाने की सुविधा प्रदान की जा रही है।
क्या मिलता है और कैसे काम करेगा
राज्य सरकार खादी संस्थानों को चरखा-करघा बेहद कम लागत पर प्रदान कर रही है, जिससे शुरुआती निवेश का बोझ घटेगा।
जिन बुनकरों और संस्थानों को मशीनरी मिलेगी, वे अपनी उत्पादन-क्षमता बढ़ा कर बड़े बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे।
ऋण सुविधा से छोटे उधमी और स्वयंसेवक समूह (SHG), महिलाओं के समूह तथा युवा खादी उत्पादक अपना कारोबार बढ़ा पाएंगे।
रोजगार, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण — तीनों को बल
सरकारी धारणा है कि यह कदम न केवल पारंपरिक हस्तशिल्प को मजबूती देगा, बल्कि ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन, महिलाओं व युवाओं की आर्थिक भागीदारी और पलायन में कमी लाने में भी मदद करेगा। खादी को आज पर्यावरण-सुरक्षा और सतत विकास का प्रतीक माना जाता है — प्राकृतिक फाइबर तथा कम ऊर्जा-खपत वाले उत्पादन से यह “ग्रीन फैशन” का भी हिस्सा बनता है।
आत्मनिर्भर भारत और ‘Vocal for Local’ को मिलेगी मजबूती
सरकार के मुताबिक यह योजना आत्मनिर्भर भारत व Vocal for Local जैसे राष्ट्रीय संदेशों को धरातल पर उतारने में सहायक होगी। स्थानीय उत्पादन बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और खादी ब्रांड को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान मिलेगी।
किसे और कैसे लाभ मिलेगा
विशेष रूप से महिलाएँ, युवा और छोटे बुनकर इस नीति से लाभान्वित होंगे। योजना में रुचि रखने वाले खादी संस्थान और बुनकर अधिक जानकारी व आवेदन-प्रक्रिया के लिए आधिकारिक पोर्टल kvibbihar.com पर देख सकते हैं।